आरबीआई नकदी डालने के लिए एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की करेगा खरीद
निहारिका रमण प्रेम
- 05 Dec 2025, 01:05 PM
- Updated: 01:05 PM
(तस्वीर के साथ)
मुंबई, पांच दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में पर्याप्त नकदी बनाए रखने के लिए इस महीने 'खुला बाजार परिचालन' (ओएमओ) के तहत एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करने का निर्णय लिया।
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक टिकाऊ नकदी मुहैया कराने के लिए इस महीने पांच अरब अमेरिकी डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली भी करेगा।
इन मौद्रिक उपायों से 15 दिसंबर को देय अग्रिम कर भुगतान की तीसरी किस्त के लिए बैंकिंग प्रणाली से होने वाले व्यय को देखते हुए नकदी संकट कम करने में मदद मिलेगी।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘उभरती नकदी स्थितियों एवं संभावनाओं को देखते हुए केंद्रीय बैंक इस महीने प्रणाली में टिकाऊ नकदी डालने के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की ओएमओ खरीद और पांच अरब अमेरिकी डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली करेगा। ’’
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अक्टूबर में हुई पिछली बैठक के बाद से प्रणालीगत नकदी का इस अवधि के लिए औसतन 1.5 लाख करोड़ रुपये अधिशेष है। प्रणाली में नकदी को नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत शुद्ध स्थिति के आधार पर मापा जाता है।
एलएएफ के अंतर्गत औसत दैनिक शुद्ध अवशोषण अगस्त में क्रमशः 2.9 लाख करोड़ रुपये तथा सितंबर में 1.6 लाख करोड़ रुपये रहा।
एलएएफ के तहत औसत दैनिक शुद्ध अवशोषण अक्टूबर 2025 में घटकर 0.9 लाख करोड़ रुपये रह गया लेकिन नवंबर 2025 में से सुधार के साथ 1.9 लाख करोड़ रुपये रहा। तीन दिसंबर तक एलएएफ के तहत शुद्ध अवशोषण 2.6 लाख करोड़ रुपये था।
आरबीआई गवर्नर ने बाजार को आश्वास्त करते हुए कहा, ‘‘हम बैंकिंग प्रणाली को पर्याप्त टिकाऊ नकदी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम प्रचलन में मुद्रा, विदेशी मुद्रा संचालन और भंडार रखरखाव में परिवर्तन के कारण बैंकिंग प्रणाली की टिकाऊ नकदी आवश्यकताओं का निरंतर आकलन करते हैं।’’
उन्होंने स्पष्ट किया कि ओएमओ के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद (बिक्री) के माध्यम से नकदी का अवशोषण और अल्पकालिक अवधि के एलएएफ (वीआरआर या वीआरआरआर) के तहत परिचालन के जरिये बहुत अलग उद्देश्य पूरे होते हैं।
गवर्नर ने कहा, ‘‘ओएमओ के तहत खरीद (बिक्री) का उद्देश्य टिकाऊ नकदी प्रदान करना है जबकि रेपो परिचालन का उद्देश्य क्षणिक नकदी का प्रबंधन करना है ताकि परिचालन लक्ष्य भारित औसत ‘कॉल’ दर (डब्ल्यूएसीआर) को रेपो दर के अनुरूप बनाया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे में यह पूरी तरह संभव है कि आरबीआई एक तरफ ओएमओ के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के माध्यम से टिकाऊ नकदी डाले, दूसरी तरफ वीआरआरआर परिचालन के माध्यम से क्षणिक नकदी वापस ले।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘मैं यह भी दोहराना चाहूंगा कि मौद्रिक नीति का प्राथमिक साधन नीतिगत रेपो दर है। यह उम्मीद की जाती है कि अल्पकालिक ब्याज दरों में बदलाव विभिन्न दीर्घकालिक दरों पर भी लागू होंगे। साथ ही खुले बाजार परिचालन का प्राथमिक उद्देश्य पर्याप्त नकदी प्रदान करना है, न कि सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल को सीधे प्रभावित करना।’’
भाषा निहारिका रमण