संसद ने तंबाकू उत्पादों पर समान कर बोझ वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क विधेयक को दी मंजूरी
मनीषा अविनाश
- 04 Dec 2025, 07:09 PM
- Updated: 07:09 PM
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) संसद ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया, जिसमें तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के बाद समान कर बोझ रखने के लिए उत्पाद शुल्क लगाने का प्रावधान है।
राज्यसभा ने उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में संशोधन वाले विधेयक को चर्चा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद इसे ध्वनिमत से लौटा दिया। लोकसभा इसे बुधवार को पारित कर चुकी है।
उच्च सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि तंबाकू और इसके उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से जीएसटी क्षतिपूर्ति कर समाप्त करने के बाद भी कर का बोझ समान रहेगा।
उन्होंने कहा कि चूंकि जीएसटी कानून में अधिकतम कर दर 40 प्रतिशत तय है, इसलिए यदि जीएसटी उपकर हटा दिया जाता है और उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जाता है तो तंबाकू पर कुल कर बोझ वर्तमान स्तर से कम हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि कर बोझ (इंसिडेंस) जीएसटी मुआवजा उपकर के दौरान जितना था, उससे कम न हो, हम यह कर लेकर आ रहे हैं। एक तरह से हम कह रहे हैं कि कर बोझ कम होने से सिगरेट सस्ती नहीं होनी चाहिए।’’
विधेयक में प्रस्ताव है कि तंबाकू उत्पादों — जैसे सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, सिगार, हुक्का, ज़र्दा और सुगंधित तंबाकू — पर लगाए जा रहे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को हटाकर उसकी जगह उत्पाद शुल्क लगाया जाए। वर्तमान में तंबाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ अलग-अलग दरों पर उपकर लगता है।
विधेयक में अपरिष्कृत (कच्चे) तंबाकू पर 60–70 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है।
सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक इसलिए आवश्यक है क्योंकि कोविड के दौरान राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा लिया गया ऋण “कुछ ही हफ्तों” में चुका दिया जाएगा, जिसके बाद मुआवजा उपकर लेना रोक दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “शायद अगले कुछ ही हफ्तों में यह पूरा कर्ज चुकता हो जाएगा। इसलिए केंद्र सुनिश्चित करना चाहता है कि उत्पाद शुल्क फिर से हमारे पास आ जाए ताकि हम यह ड्यूटी लगा सकें।”
एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू करते समय राज्यों को जीएसटी के चलते हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए एक मुआवजा उपकर तंत्र स्थापित किया गया था, जिसकी अवधि प्रारंभ में 5 वर्ष (30 जून 2022 तक) निर्धारित थी।
बाद में मुआवजा उपकर की वसूली की अवधि 4 वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च 2026 कर दी गई, और इस अवधि में संग्रहित राशि का उपयोग, कोविड काल में राज्यों की जीएसटी कमी की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्भुगतान में किया जा रहा है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि जीएसटी के तहत बीड़ी को 18 प्रतिशत के ब्रेकेट में लाया गया है जबकि सिगरेट पर यह दर 40 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा कि यदि उत्पाद कर एवं अन्य कर जोड़ दिए जाएं तो बीड़ी पर लगने वाले कुल कर में कोई बदलाव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि तंबाकू उत्पादक राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में जिन खेतों में इसकी खेती होती थी, उसमें से बहुत बड़े हिस्से में अन्य फसलें लगायी जा रही हैं जिनमें गन्ना प्रमुख है।
वित्त मंत्री ने कहा कि फसल विविधीकरण योजना के तहत 10 बड़े तंबाकू उत्पादक राज्यों में 2015 से तंबाकू किसानों को वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने तेलंगाना में मिर्च, ओडिशा में सब्जी और कर्नाटक में सोयाबीन तथा गन्ना जैसी फसलों के लिए तंबाकू किसानों को सहायता देने संबंधी सरकार के प्रयासों का जिक्र किया।
सीतारमण ने बीड़ी मजदूरों और उनके बच्चों को दी जाने वाली विभिन्न सहायता का भी उल्लेख किया जिनमें बीमारियों के उपचार में दी जाने वाली मदद और उनके बच्चों को शिक्षा के लिए दी जाने वाली सहायता शामिल हैं।
सीतारमण ने पश्चिम बंगाल का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार नहीं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस सरकार राज्य के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना से हट गयी है तथा उद्योग राज्य छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2011 से अब तक 248 सूचीबद्ध कंपनियां बंगाल छोड़कर जा चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 11 मेडिकल कॉलेज केंद्र सरकार की योजना के तहत खोले गये।
भाषा माधव माधव मनीषा
मनीषा