भारत कम लागत वाली नैदानिकी और चिकित्सा उपकरणों में वैश्विक बदलाव की अगुवाई करने के लिए तैयार:गेट्स फाउंडेशन
राजकुमार पवनेश
- 04 Dec 2025, 05:50 PM
- Updated: 05:50 PM
(उज्मी अतहर)
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) गेट्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मार्क सुजमैन ने कहा है कि भारत अपने टीका प्रभुत्व और उभरते नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के दम पर किफायती नैदानिकी (डायग्नोस्टिक्स) और चिकित्सा उपकरणों के अगले दौर का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि दुनिया इस सदी में बढ़ती बाल मृत्यु दर के पहले वर्ष में कदम रख रही है।
सुजमैन ने ‘2025 गोलकीपर रिपोर्ट’ के विमोचन के अवसर पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उच्च गुणवत्ता, कम लागत वाले विनिर्माण की भारत की ताकत ने पहले ही वैश्विक टीकाकरण परिदृश्य को बदल दिया है और अब नैदानिकी (डायग्नोस्टिक्स) उपकरणों में इसी तरह की सफलता के लिए मंच तैयार कर रहा है, जिसमें एआई-आधारित प्रसवपूर्व परीक्षण उपकरण और एक नया तपेदिक परीक्षण शामिल है एवं यह तपेदिक परीक्षण दो अमेरिकी डॉलर से कम हो जाने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में यह क्षमता है कि वह टीका उद्योग के मॉडल का पालन कर एक वैश्विक प्रमुख और वैश्विक आपूर्तिकर्ता बन सके।’’
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक स्तर पर पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 2024 में 46 लाख से बढ़कर 2025 में 48 लाख हो जाएगी। बाल मृत्युदर में 2000 के बाद पहली बार वृद्धि हुई है, जिससे दशकों की प्रगति उलट जाएगी।
इसमें चेतावनी दी गई है कि वैश्विक स्वास्थ्य सहायता में 20 प्रतिशत की कटौती से 2045 तक 1.2 करोड़ अतिरिक्त बच्चों की मृत्यु हो सकती है तथा यदि कटौती 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है तो यह संख्या बढ़कर 1.6 करोड़ हो जाएगी।
सुजमैन ने कहा कि इन उलटफेरों से अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित होगा, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, मिशन इन्द्रधनुष और स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों में दीर्घकालिक निवेश के बल पर भारत संभवतः शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सफल रहेगा।
उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति ने उसे वैश्विक स्वास्थ्य में एक प्राप्तकर्ता से योगदानकर्ता बना दिया है । इस संदर्भ में उन्होंने इस वर्ष वैश्विक कोष के लिए सरकार द्वारा तीन करोड़ अमेरिकी डॉलर के योगदान की ओर इशारा किया, जो 25 प्रतिशत की वृद्धि है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के पास बाकी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण सबक हैं। उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे ऐतिहासिक रूप से पिछड़े राज्यों में भी सुधार का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और देश के आगामी वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन समेत भारत का डिजिटल स्वास्थ्य अभियान स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
भाषा
राजकुमार