तंबाकू पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से बीड़ी बनाने वाले गरीबों, महिलाओं पर बुरी मार पड़ेगी : विपक्ष
मनीषा अविनाश
- 04 Dec 2025, 04:46 PM
- Updated: 04:46 PM
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने उत्पाद शुल्क में संशोधन के लिए लाये गये एक विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे तंबाकू और उसके उपयोग को हतोत्साहित करने के लक्ष्य में कोई मदद नहीं मिलेगी तथा बीड़ी बनाने के काम में लगे गरीबों, महिलाओं और आदिवासियों पर बुरी मार पड़ेगी।
कांग्रेस ने इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की ताकि इस पर गंभीरता से विचार किया जा सके।
उच्च सदन में केंद्रीय उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2025 पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि उपकर से जहां राज्यों की स्वायत्तता और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है, वहीं देश में खुदरा महंगाई भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में जो किसान और मजदूर खेती में लगे हुए हैं, उनके बारे में विधेयक में मौन साध लिया गया है।
उन्होंने कहा कि चबाने वाले तंबाकू पर कर को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है जबकि पाइप से पिए जाने वाले तंबाकू पर यह 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव का कोई औचित्य समझ में नहीं आता।
तिवारी ने सरकार को सुझाव दिया कि इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से जो वसूली हो, वह तंबाकू से पीड़ित होने वाले लोगों पर खर्च की जाए।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार ने शराब, तंबाकू, गुटखे के विज्ञापन पर रोक लगा रखी है किंतु कंपनियां इससे मिलते जुलते विज्ञापन चला रही हैं जिससे सरकार का उद्देश्य विफल हो गया है। उन्होंने सरकार से इस तरह के विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की।
उन्होंने सरकार से इस मामले में एक समग्र नीति बनाने की भी मांग की।
भाजपा के अरुण सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में जो भी कर वसूली होती थी उसमें से 32 प्रतिशत राज्यों को दिया जाता था जबकि वर्तमान सरकार के शासनकाल में राज्यों को कर वसूली का 42 प्रतिशत दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्णय किया है कि जो बीड़ी मशीन से बनती है, उसी पर कर लगाया जाएगा तथा हाथ से बनायी जाने वाली बीड़ी पर कर नहीं लगेगा।
सिंह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने नल से पेयजल सहित कई ऐसी योजनाएं चलायी हैं जो देश के नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में 16,800 जन औषधि दुकानें खोली गयी हैं और लक्ष्य 25 हजार दुकानों का हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि नशा मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल किया जाए।
चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने इस बात पर आपत्ति जतायी कि इस विधेयक के बारे में उच्च सदन के सदस्यों को बहुत बाद में जानकारी दी गयी जिससे उन्हें इस पर बोलने के लिए तैयारी करने का बहुत कम समय मिला। उन्होंने देश में फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जतायी।
उन्होंने कहा कि तंबाकू और उसके उत्पादों पर करों की दर बढ़ाने से इनके उपयोग को हतोत्साहित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मशहूर हस्तियां तंबाकू का विज्ञापन करती हैं।
घोष ने दावा किया कि सरकार का यह संशोधन विधेयक जन स्वास्थ्य के लिहाज से नहीं बल्कि कर वसूली बढ़ाने के उद्देश्य से जुड़ा कदम है। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक में उत्पाद कर में भारी बढ़ोत्तरी से बीड़ी बनाने वाले आदिवासियों, महिलाओं और गरीबों पर गहरी मार पड़ेगी।
द्रमुक के आर गिरिराजन ने इस विधेयक का विरोध करते किया और कहा कि उपकर से राज्यों को कोई हिस्सा नहीं मिलता है। उन्होंने आशंका जतायी कि करों की दर बढ़ाने से ऐसे उत्पादों की ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो सकती है।
आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक ने सरकार से जानना चाहा कि उसका दृष्टिकोण क्या है और क्या वह जन स्वास्थ्य को देखते हुए तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादों को धीरे धीरे बंद करना चाहेगी।
पाठक ने कहा कि आज 70 प्रतिशत कैंसर के मामले में तंबाकू से जुड़े है तथा इनमें से 40-50 प्रतिशत कैंसर से मौत तंबाकू के प्रयोग से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर से होने वाली मौतों से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान तथा करों से होने वाली आय की तुलना करें तो देश को कुछ नहीं हासिल होता।
उन्होंने कहा कि तंबाकू पर कर से देश को 70 से 75 हजार करोड़ रूपये प्राप्त होते हैं किंतु राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण मद में वर्ष में मात्र 50 करोड़ रूपये आवंटित किए जाते हैं, इस प्रकार मात्र 0.57 प्रतिशत ही व्यय किए जाते हैं।
उन्होंने बीड़ी मजदूर बनाने वाले मजदूरों के कल्याण के लिए उपाय किए जाने पर बल दिया।
भाषा माधव मनीषा
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