डब्ल्यूएचओ ने 10 साल में टीबी के मामलों और मौतों में कमी की पुष्टि की, वृद्धि के दावों का खंडन किया
जितेंद्र नरेश
- 03 Dec 2025, 08:10 PM
- Updated: 08:10 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) भारत में पिछले एक दशक में क्षय रोग (टीबी) के मामलों में वृद्धि का संकेत देने वाली कुछ खबरों के जवाब में केंद्रीय टीबी प्रभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि देश ने वास्तव में टीबी के मामलों और मृत्यु दर दोनों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है।
केंद्रीय क्षय रोग प्रभाग ने बताया कि टीबी के मामलों में कमी और इस बीमारी से होने वाली मौतों में आई कमी के पीछे लगातार निगरानी, शीघ्र पहचान और उपचार तक पहुंच जैसे कई महत्वपूर्ण कारक हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में 21 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर टीबी के 237 मामल सामने आए थे, जो घटकर 2024 में प्रति लाख पर 187 रह गये।
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि इसी अवधि के दौरान, टीबी से होने वाली मौतों की दर में 25 फीसदी की कमी आई है जो 2015 में प्रति लाख 28 मौतों से घटकर 2024 में 21 रह गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, उपचार दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और 2015 में 53 फीसदी से बढ़कर यह दर 2024 में 92 फीसदी हो गयी।
इससे पहले सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत समाचार एजेंसी ‘भाषा’ द्वारा दायर एक आवेदन के जवाब में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय क्षय रोग प्रभाग ने बताया था कि देश में पिछले पांच साल में टीबी रोगियों की संख्या में डेढ़ गुना वृद्धि दर्ज की गयी है।
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, 2020 में जहां टीबी रोगियों की संख्या 18,05, 670 थी वहीं 2024 में इस संक्रामक रोग का शिकार होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 26,17, 923 हो गयी।
केंद्रीय क्षय रोग प्रभाग ने आरटीआई के जवाब में बताया था कि 2020 में टीबी के 18,05,670, 2021 में 21,35,830, 2022 में 24,22,121, 2023 में 25,52,257 और 2024 में 26,17,923 मामले सामने आए थे।
‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार केंद्रीय क्षय रोग प्रभाग ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बारे में बताया कि टीबी रोग के मामलों में कमी का एक प्रमुख कारण सरकार द्वारा अघोषित और लक्षणहीन मामलों की पहचान पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना है, जो पहले सीमित निगरानी प्रक्रियाओं के कारण छूट जाते थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, 2015 में भारत में लगभग 15 लाख ‘लापता’ टीबी मामले थे, जिससे संक्रमण को नियंत्रित करना एक गंभीर चुनौती बन गया लेकिन 2024 में यह संख्या 93 फीसदी घटकर एक लाख से कम हो गई, जो मामलों का पता लगाने में एक बड़ी सफलता को दर्शाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी तरह से आगे बढ़ने की पुष्टि की।
मंत्रालय को टीबी मुक्त भारत अभियान से टीबी के मामलों में कमी आने और मृत्यु दर को रोकने में अधिक सफलता मिलने की उम्मीद है।
यह पहल टीबी उन्मूलन और आने वाले वर्षों में टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य के और करीब पहुंचने के सरकार के संकल्प को रेखांकित करती है।
भाषा जितेंद्र