सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन में मामूली सुधार, सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट
राजेश राजेश अजय
- 03 Dec 2025, 07:07 PM
- Updated: 07:07 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) सटोरियों द्वारा दाम में तेजी लाने के तमाम हथकंडों की वजह से स्थानीय बाजार में बुधवार को सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में मंगलवार के बंद भाव के मुकाबले सुधार आया। दूसरी ओर, रुपया कमजोर होने के बावजूद धन की कमी का सामना करने वाले आयातकों द्वारा बैंकों का ऋण लौटाने और ऋण-साख को प्रचलन में बनाये रखने के मकसद से आयातित सोयाबीन डीगम तेल को लागत से नीचे दाम पर बेचना जारी रखने के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में गिरावट रही।
मलेशिया एक्सचेंज में दोपहर 3.30 बजे स्थिरता के रुख लिए था और सामान्य कामकाज के बीच कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम स्थिर रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में स्थिरता का रुख था जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात सुधार था और फिलहाल यहां घट-बढ़ जारी है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों के मामले में बाजार में सटोरिये सक्रिय हैं जो मांग बढ़ाने की कोशिशों में जुटे हैं। सरसों का दाम तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक चल रहा है लेकिन ऊंचे दाम के कारण इसकी मांग प्रभावित है। दूसरी ओर, मूंगफली का दाम एमएसपी से काफी नीचे है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में बेहतर गुणवत्ता वाले मूंगफली तेल के साथ-साथ साबुत खाने वालों की मांग बढ़ी है। इस वजह से पिछले कुछेक कारोबारी सत्रों से मूंगफली में सुधार जारी है। आज के इस सुधार के बावजूद मूंगफली अभी भी एमएसपी से नीचे बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर होने के बाद आयातित तेल के आयात की लागत और बढ़ी है लेकिन इस वृद्धि के बावजूद आयातक लागत से नीचे दाम पर बिक्री करना जारी रखे हैं। धन की तंगी की वजह से उन्हें बैंकों का कर्ज लौटाने तथा ऋण साख पत्र को प्रचलन में बनाये रखने के लिए लागत से नीचे दाम पर बिक्री कर बैंक ऋण लौटाने की जल्दबाजी में देखा जा सकता है। लागत से नीचे दाम पर बिक्री और घाटे का यह कारोबार कैसे और कब तक चलेगा, इसकी खोज-खबर रखने की जरूरत है। अंतत: इससे तेल उद्योग, किसानों, आयातकों, बैंकों की ऋण वापसी को ही नुकसान पहुंचेगा।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के स्थिर रहने के बीच पाम-पामोलीन के दाम स्थिर बने रहे। हल्के तेलों में सबसे सस्ता होने तथा स्थानीय मांग रहने के बीच बिनौला तेल के दाम भी स्थिर बने रहे।
सूत्रों ने कहा कि भारत के तेल-तिलहन परिदृश्य की स्थिति को इस एक बात से समझा जा सकता है कि जो चीन कभी सोयाबीन का आयातक देश हुआ करता था वह आज भारत को सोयाबीन तेल का निर्यात कर रहा है। भारत भी लंबे समय से उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है पर हमारी आयात पर निर्भरता पहले के मुकाबले कहीं अधिक ही बढ़ गई है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,150-7,200 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,375-6,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,450-2,750 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,480-2,580 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,480-2,615 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,380 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,380 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,575 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,180 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,575-4,625 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,275-4,325 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश