सरकार ‘स्मॉग’ के दिनों में शीतकालीन सत्र आयोजित करने पर पुनर्विचार करे : विल्सन
अविनाश मनीषा
- 03 Dec 2025, 05:33 PM
- Updated: 05:33 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, राज्यसभा में बुधवार को द्रमुक सदस्य पी. विल्सन ने इसे "गैस चैंबर" करार दिया और सरकार से कहा कि वह चरम ‘स्मॉग’ के दिनों में संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित करने पर पुनर्विचार करे।
विल्सन ने कहा कि प्रदूषण अब केवल "वैधानिक चिंता" नहीं रह गया है, बल्कि "राष्ट्रीय आपातकाल" बन गया है। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में भीड़भाड़ कम करने के लिए प्रयास करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "राजधानी शहर से ज़्यादा प्रदूषण कहीं और दिखाई नहीं देता। दिल्ली गैस चैंबर बन गई है।"
उन्होंने यह टिप्पणी मणिपुर से संबंधित एक संकल्प पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए की। यह संकल्प जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 को मणिपुर में लागू किए जाने से संबंधित है।
विल्सन ने कहा, "जब नागरिक जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हों, तब संसद चुप नहीं रह सकती। 2025 में, दिल्ली में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुरक्षित मानकों के अनुरूप हो। प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोग अपनी जीवन प्रत्याशा के आठ साल से ज़्यादा खो रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि पड़ोसी हरियाणा और पंजाब में पराली जलाना दिल्ली के प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं है, बल्कि वाहनों से होने वाला उत्सर्जन ‘‘सबसे बड़ा दोषी’’ है।
विल्सन ने इसके लिए "अति-केंद्रीकरण" को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "इस देश में, सारा काम दिल्ली से ही क्यों किया जाना चाहिए? 2025 में सरकार को 1950 की तरह काम करने की ज़रूरत नहीं है।"
द्रमुक सांसद ने सवाल किया कि क्या चरम ‘स्मॉग’ के दिनों में शीतकालीन सत्र आयोजित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अन्य सत्रों में भी काम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि क्या चरम स्मॉग के महीनों में संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित करना ज़रूरी है? शीतकालीन सत्र को टालकर, अन्य सत्रों में काम करके, दिनों की संख्या की संवैधानिक आवश्यकता पूरी की जा सकती है। ऐसा कोई संवैधानिक आदेश नहीं है कि हर संवैधानिक संस्था दिल्ली में ही हो।"
विल्सन ने कहा, "सरकार चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में उच्चतम न्यायालय की क्षेत्रीय पीठें स्थापित करे और नयी दिल्ली में उच्चतम न्यायालय का काम कम करे... मंत्रालयों और वैधानिक निकायों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करे।’’
भाषा अविनाश