राज्यसभा : गैर-हलाल उत्पादों से भाजपा सदस्य ने ‘हलाल प्रमाणपत्र’ हटाने की मांग की
मनीषा माधव
- 03 Dec 2025, 04:17 PM
- Updated: 04:17 PM
नयी दिल्ली, तीन दिसम्बर (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य मेधा विश्वास कुलकर्णी ने गैर-हलाल उत्पादों पर से ‘हलाल प्रमाणपत्र’ वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह हमारे संविधान के खिलाफ है, जो सभी नागरिकों को अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने का अधिकार देता है।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कुलकर्णी ने कहा कि हलाल की अवधारणा एक विशेष धर्म से जुड़ी है और इसे अन्य धर्मों के लोगों पर थोपना उचित नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में बेचे जाने वाले उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र निजी निकायों द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए और इसके लिए केवल भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को अधिकृत किया जाना चाहिए, जो खाद्य प्रमाणन का अधिकार रखता है।
कुलकर्णी ने कहा, ‘‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए हलाल मांस खाना उनकी आस्था के विरुद्ध है, जैसे हिंदू और सिख समुदाय के लोग।’’
उन्होंने कहा कि गैर-शाकाहारी लोगों पर भी ‘हलाल प्रमाणपत्र’ वाला मांस थोपना सही नहीं लगता और यह संविधान के खिलाफ है क्योंकि ‘‘हमारा संविधान सबको अपनी अपनी धार्मिक आस्था का सम्मान करने का अधिकार देता है’’।
भाजपा सांसद ने गैर-हलाल उत्पादों को हलाल प्रमाणपत्र देने पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने दावा किया, ‘‘दूध, चीनी, तेल और दवाएं ही नहीं, निर्माण सामग्री, सीमेंट, प्लास्टिक, रसायन आदि जैसे गैर-खाद्य उत्पादों को भी हलाल प्रमाणपत्र दिया जा रहा है। यह अव्यावहारिक और आशंकाओं से भरा हुआ है, जो धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करता है।’’
कुलकर्णी ने मांग की कि गैर-हलाल और अन्य गैर-खाद्य वस्तुओं पर से हलाल प्रमाणपत्र तत्काल वापस लिया जाए और ऐसे प्रमाणपत्र देने का निजी संस्थानों का अधिकार तुरंत समाप्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि खाद्य प्रमाणन का अधिकार एफएसएसएआई को दिया गया है और निजी संस्थानों को ऐसा करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद धार्मिक संस्थान या निजी संगठन हलाल प्रमाणपत्र दे रहे हैं। मेरी मांग है कि जो लोग हलाल मान्यता चाहते हैं, उनके लिए यदि प्रमाणपत्र देना ही है, तो वह सरकारी प्रणाली के माध्यम से हो और प्रमाणन शुल्क सरकारी खजाने में जमा हो।’’
कुलकर्णी ने कहा कि हलाल प्रमाणन शुल्क से उत्पादों के दाम बढ़ते हैं, जिसका बोझ परोक्ष रूप से सभी धर्मों के ‘‘उपभोक्ताओं’’ पर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति उपभोक्ता स्वतंत्रता, बाजार पारदर्शिता और सामाजिक समानता को प्रभावित करती है।
भाषा
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