संसदीय समिति ने नैनो-उर्वरक के असर को जांचने के लिए लंबे समय तक खेत परीक्षण करने को कहा
राजेश राजेश माधव
- 02 Dec 2025, 05:35 PM
- Updated: 05:35 PM
नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने सरकार से नैनो तरल उर्वरक के असर को जांचने के लिए अलग-अलग खेती की फसलों पर लंबे समय तक खेत परीक्षण करने को कहा है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय संबंधित संसद की एक स्थायी समिति ने सोमवार को 'उर्वरकों के आयात को रोकने के मकसद से उर्वरकों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता - इसकी रुकावटों की समीक्षा’ संबंधित एक रिपोर्ट पेश की।
अपनी रिपोर्ट में, समिति ने कहा कि उसे बताया गया कि नैनो-उर्वरक पौधों के पोषण में इस्तेमाल के लिए बहुत उम्मीद जगाते हैं, क्योंकि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) पारंपरिक यूरिया और डीएपी की तुलना में कम कीमत पर बोतलों में उपलब्ध हैं।
नैनो-उर्वरकों को और बढ़ावा देने के लिए, समिति ने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत उर्वरक विभाग को कई सुझाव दिए हैं। समिति ने विभाग से नैनो यूरिया और नैनो डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) समेत नैनो उर्वरक का उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाने, असर जांचने के लिए खेत परीक्षण करने और किसानों में इस उत्पाद के बारे में जागरूकता फैलाने को कहा है।
समिति ने कहा कि नैनो उर्वरक के उत्पादन के लिए कम मात्रा में कच्चे माल की ज़रूरत होती है।
इसमें कहा गया, ‘‘विभाग अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के ज़रिए नैनो यूरिया और नैनो डीएपी समेत नैनो उर्वरक की उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाने में पूरी मदद कर सकता है, ताकि यह आने वाले सालों में पारंपरिक यूरिया व पी एंड के उर्वरक के इस्तेमाल की जगह ले सके और उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पाने में मदद कर सके।’’
समिति ने उम्मीद जताई कि विभाग इस दिशा में ठोस, समय पर और ईमानदारी से कदम उठाएगा। इसके अलावा, समिति ने सुझाव दिया कि ‘‘विभाग पूरे देश में अलग-अलग फसलों पर नैनो उर्वरक के इस्तेमाल के लंबे समय के खेत परीक्षण करवा सकता है... ताकि फसल की उत्पादकता, उगाई गई फसल की पोषण गुणवत्ता, मिट्टी की सेहत वगैरह के मामले में नैनो उर्वरक के इस्तेमाल के फायदे और नुकसान का अच्छी तरह से पता लगाया जा सके और उन्हें उचित साबित किया जा सके; ताकि किसान इसे पारंपरिक उर्वरक के स्थान पर अपना सकें।’’
ये खेत परीक्षण अलग-अलग शोध संगठनों और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) वगैरह के साथ समन्वय में किए जाने चाहिए।
समिति ने विभाग से नए नैनो-उर्वरकों को बनाने के लिए काफी धन देने को भी कहा। रिपोर्ट में यह भी महसूस किया गया कि नैनो-उर्वरक के इस्तेमाल के लिए युद्ध स्तर पर और ड्रोन लाए जाने चाहिए।
रिपोर्ट में बताया गया कि नैनो यूरिया, रसायन उर्वरक के एक बहुत ज़रूरी ‘सप्लीमेंट’ के तौर पर उभर रहा है।
पिछले ढाई सालों में, नैनो यूरिया की 9.32 करोड़ बोतलें बिकी हैं, जो 42 लाख टन पारंपरिक यूरिया के बराबर है।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसी तरह, नैनो डीएपी को किसानों ने बहुत पसंद किया है। वर्ष 2024 के आखिर तक, नैनो डीएपी की 3 करोड़ से ज़्यादा बोतलें बनाई जा चुकी हैं, और उनमें से 2.16 करोड़ बोतलें बिक चुकी हैं।’’
भाषा राजेश राजेश