पश्चिम बंगाल: एसआईआर के कारण मारे गए 39 लोगों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता
दिलीप
- 02 Dec 2025, 10:31 PM
- Updated: 10:31 PM
कोलकाता, दो दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को उन 39 लोगों के परिवार के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की, जिनके बारे में मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी मृत्यु राज्य में “विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से उत्पन्न भय” के कारण हुई, जिनमें कुछ आत्महत्याएं भी शामिल हैं।
बनर्जी ने कहा कि चार बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) सहित इन 39 शोक संतप्त परिवारों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि एसआईआर के दौरान बीमार पड़ने वाले 13 अन्य लोगों के परिवारों को भी एक-एक लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। इन 13 में तीन बीएलओ भी शामिल हैं, जो कथित तौर पर “अत्यधिक कार्यभार” के कारण बीमार हो गए।
हालांकि, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एसआईआर से जुड़ी नागरिकों की मौत के संबंध में राज्य के दावों को ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताकर खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी बीएलओ को आतंकित कर रही है।
मुख्यमंत्री ने सरकारी आकलन का हवाला देते हुए कहा कि चार नवंबर को एसआईआर की शुरुआत से जनता के एक वर्ग में व्यापक पैमाने पर भय उत्पन्न हुआ है।
राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ में राज्य के 14 वर्षों के विकास रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद बनर्जी ने कहा, “अब तक चार बीएलओ समेत 39 आम नागरिकों की एसआईआर से उत्पन्न भय के कारण मौत हो चुकी है, जिसमें आत्महत्याएं भी शामिल हैं। उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि गणना संबंधी कार्यों के दौरान बेहोश होने या गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद 13 अन्य लोग वर्तमान में उपचाराधीन हैं।
राज्य में “अत्यधिक कार्यभार” के कारण बीएलओ की मौत के भी आरोप लगाए गए हैं। बनर्जी ने कहा कि ऐसी चार मौतें हुई हैं और सरकार पहले ही दो अधिकारियों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये प्रदान कर चुकी है।
अधिकारियों के अनुसार, कथित तौर पर एसआईआर से जुड़ी पहली आत्महत्या इस कवायद के पहले दिन हुई, जब उत्तर 24 परगना के खडदह निवासी प्रदीप कर ने अपनी जान दे दी।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि सत्तारूढ़ दल ‘‘लोगों की मौतों का फायदा उठाने’’ की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी मौत दुखद होती है। लेकिन तृणमूल राजनीतिक लाभ के लिए इसका राजनीतिकरण कर रही है। अगर किसी व्यक्ति की सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मृत्यु होती है, तो तृणमूल उसे एसआईआर से जोड़ देती है। इन मौतों का एसआईआर से संबंध नहीं है।’’
उन्होंने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि निर्वाचन आयोग की एसआईआर प्रक्रिया से क्षेत्रीय कर्मचारियों पर अत्यधिक बोझ पड़ रहा है और उन्होंने कहा कि तृणमूल ने ही बीएलओ पर दबाव डाला था।
इस बीच, निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को कहा कि मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान जिन मतदान केंद्रों से वितरित सभी गणना प्रपत्र वापस मिले थे, उनकी संख्या पुन: सत्यापन के बाद घटाकर 2,208 से 480 कर दी गई है।
अधिकारियों ने कहा कि इसका मतलब है कि इन 480 मतदान केंद्रों में एक भी मृत, ‘डुप्लीकेट’ या अनुपलब्ध मतदाता नहीं है।
पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा क्षेत्रों में 78,000 से कुछ अधिक मतदान केंद्र हैं।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारियों ने पहले एक दिसंबर को ऐसे 2,208 मतदान केंद्रों की जानकारी दी थी, लेकिन मुख्य निर्वाचन अधिकारी के निर्देश पर दोबारा की गई जांच के बाद वास्तविक संख्या 480 पाई गई।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने सोमवार को जिलों के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी और उनसे मृत, ‘डुप्लीकेट’ या अनुपलब्ध मतदाताओं की संख्या की दोबारा जांच करने को कहा था। हमें यह संशोधित आंकड़ा मंगलवार दोपहर को मिला।’’
भाषा
खारी