बंगाल में बीएलओ का विरोध प्रदर्शन: सीईओ कार्यालय में ‘ड्रामा’, चुनाव अधिकारियों से मिले भाजपा नेता
नोमान संतोष
- 01 Dec 2025, 10:43 PM
- Updated: 10:43 PM
कोलकाता, एक दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में लगे बीएलओ के एक वर्ग ने गणना प्रक्रिया के दौरान कथित अत्यधिक कार्यभार को लेकर सोमवार को यहां सीईओ कार्यालय के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद प्रदर्शन स्थल पर अधिकारियों को पुलिस की तैनाती बढ़ानी पड़ी।
बीएलओ अधिकार रक्षा समिति द्वारा धरने के रूप में शुरू हुआ यह प्रदर्शन उस समय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन में बदल गया, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और पार्टी विधायक दोपहर में निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मिलने पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा विरोधी नारे लगाए और पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की।
मध्य कोलकाता स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के बाहर संकरी सड़क पर नारे लगने लगे। एक तरफ बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की ओर से "वापस जाओ" के नारे लगे। दूसरी तरफ भाजपा समर्थकों की ओर से "शर्म करो" के नारे लगे। इससे प्रवेश द्वार पर अफरा-तफरी मच गई। पुलिसकर्मियों ने दोनों समूहों को प्रवेश द्वार के आसपास एकत्र होने से रोका।
बीएलओ समूह के सदस्यों ने कहा कि उन्हें ज्ञापन सौंपने के लिए अंदर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए, तथा आरोप लगाया कि अफसर कई दिनों से उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।
एक समय ऐसा आया जब प्रदर्शनकारियों के दबाव के कारण बैरिकेड हिलने लगा, जिसके कारण अधिकारियों को शोर और अफरा-तफरी के बीच आगे बढ़कर उसे स्थिर करना पड़ा। यह आंदोलन बगल की सड़क तक भी फैल गया।
बीएलओ फोरम के सदस्य भारी कार्यभार का हवाला देते हुए एसआईआर की समय सीमा में दो महीने का विस्तार तथा मृतक बीएलओ के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
हालांकि, अंदर शुभेंदु अधिकारी की सीईओ मनोज अग्रवाल और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक जारी रही।
शुभेंदु अधिकारी ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि भाजपा ने 17,111 बूथों से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए हैं और 14 दिसंबर के बाद होने वाली सुनवाई की सख्त निगरानी की मांग की है।
उन्होंने कहा, "आयोग के नियंत्रण कक्ष से लाइव सीसीटीवी निगरानी के बिना कोई सुनवाई नहीं होनी चाहिए।"
सीईओ कार्यालय के अंदर, शुभेंदु अधिकारी ने एक ज्ञापन प्रस्तुत किया और कई मांगें उठाईं, जिनमें "सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों" को हटाना, एसडीओ रैंक से कम के कर्मी को ईआरओ पद से हटाना और मतदाता सूची से "बांग्लादेशी मुसलमानों" के नाम हटाना शामिल था।
शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि बाहर हो रहे आंदोलन की पटकथा "टीएमसी द्वारा लिखी गई" थी, जो एसआईआर प्रक्रिया को कमजोर करने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है।
उन्होंने आरोप लगाया, "यह विरोध प्रदर्शन सत्तारूढ़ पार्टी की इस प्रक्रिया को रोकने और घुसपैठियों के अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने की योजना को दर्शाता है।"
जैसे ही शुभेंदु अधिकारी सीईओ कार्यालय से बाहर निकले, तो बीएलओ प्रदर्शनकारियों ने "चोर चोर" के नारे लगाए, जिसके जवाब में उन्होंने "चोर चोर दूर हटाओ, डाका रानी दूर हटाओ" जैसे नारे लगाए।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पलटवार करते हुए भाजपा पर षड्यंत्र के विमर्श को गढ़ने का आरोप लगाया, जबकि बीएलओ जिस तनाव में काम कर रहे हैं, उसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
टीएमसी के वरिष्ठ प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने कहा कि निर्वाचन आयोग की “बिना योजना वाली जल्दबाज़ी” ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि बीएलओ को उनकी सहनशक्ति से भी अधिक काम का बोझ उठाने पर मजबूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "चार बीएलओ पहले ही मर चुके हैं, दो आत्महत्या से और एक अप्राकृतिक परिस्थितियों में। यह राजनीति नहीं है; यह एक मानवीय पतन है।"
उन्होंने कहा, "'बांग्लादेशी मुसलमानों' का हवाला देकर एसआईआर प्रक्रिया को सांप्रदायिक रंग देने की भाजपा की कोशिश गैर-ज़िम्मेदाराना और ख़तरनाक है।"
सोमवार का यह तूफ़ानी घटनाक्रम पिछले हफ्ते हुए टकरावों की पृष्ठभूमि में हुआ है, जिनकी वजह से सीईओ का दफ़्तर विवाद का केंद्र बन गया है।
भाषा नोमान