हिंदी का विकास अन्य भारतीय भाषाओं की कीमत पर नहीं होना चाहिए: जितेंद्र सिंह
अमित संतोष
- 01 Dec 2025, 10:31 PM
- Updated: 10:31 PM
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सरकारी प्रतिष्ठानों में हिन्दी को अपनाने के लिए मजबूत प्रयास का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा कि आधिकारिक कामकाज में भाषा का व्यावहारिक उपयोग इसके विकास और प्रासंगिकता के लिए महत्वपूर्ण है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की हिन्दी सलाहकार समिति की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिंह ने कहा कि कोई भी भाषा तब तक स्थायी रूप से विकसित नहीं हो सकती जब तक उसे रोजगार से ना जोड़ा जाए। उन्होंने शासन में कार्यात्मक और संवाद के माध्यम के रूप में हिन्दी के महत्व पर जोर दिया।
कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि हिन्दी का विकास अन्य भारतीय भाषाओं की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
उन्होंने दस्तावेजीकरण में सटीक हिन्दी का प्रयोग करने वाले दक्षिणी राज्यों के कई अधिकारियों के भाषाई अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि विविधता को बनाए रखने और समावेशी संवाद संरचना के निर्माण के लिए हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं, दोनों को मजबूत किया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा कि पिछले एक दशक में सरकारी संस्थानों में भाषायी परिवेश में स्पष्ट बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विभागों में हिन्दी का प्रयोग लगातार बढ़ा है और प्रशासनिक दस्तावेजों, संवाद और प्रशिक्षण सामग्री के लिए हिन्दी भाषा का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
उन्होंने कार्यभार की वास्तविकताओं को संतुलित करते हुए हिन्दी के अधिकाधिक इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मिजोरम सहित, पहले हिन्दी भाषा के दायरे से बाहर माने जाने वाले क्षेत्रों में अब हिन्दी शिक्षा और संवाद की मांग बढ़ रही है। उन्होंने सेवा क्षेत्रों में भर्ती की प्राथमिकताओं का उदाहरण दिया, जहां अंग्रेजी और हिन्दी दोनों का कार्यसाधक ज्ञान एक लाभ के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह बदलाव व्यापक सामाजिक और व्यावसायिक रुझानों को दर्शाता है, खासकर उन क्षेत्रों में रोजगार के बढ़ते अवसरों के साथ जहां द्वि-भाषा कौशल रोजगार क्षमता में सुधार करते हैं।
बैठक के दौरान तीन प्रकाशनों - कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ‘कौशल पत्रिका’, पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग की ‘सोपान पत्रिका’ और सलाहकार समिति की सदस्य अंबुजा मालखेडकर द्वारा लिखित ‘कर्नाटक की श्रृंखलाएं’ का विमोचन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रशासन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में ज्ञान-आधारित हिन्दी साहित्य का और अधिक विकास होना चाहिए।
समिति के सदस्यों ने विभागीय कार्यवाहियों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने, हिन्दी में विज्ञान संवाद को प्रोत्साहित करने और सोशल मीडिया के माध्यम से डिजिटल सामग्री का विस्तार करने सहित कई प्रस्ताव प्रस्तुत किए। उन्होंने अधिकारियों की सहायता के लिए विश्वविद्यालयों के माध्यम से तकनीकी उपकरणों और संसाधनों की उपलब्धता पर भी प्रकाश डाला।
भाषा अमित