गढ़चिरौली आगजनी मामला: महाराष्ट्र सरकार को सुनवाई में उचित सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश
पारुल पवनेश
- 01 Dec 2025, 10:18 PM
- Updated: 10:18 PM
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 2016 के गढ़चिरौली आगजनी मामले की सुनवाई के दौरान वर्चुअल कॉन्फ्रेंस सुविधाएं ठीक से काम करें। इस मामले के आरोपियों में अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग शामिल हैं।
शीर्ष अदालत का यह निर्देश गाडलिंग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर की इस दलील के बाद आया कि वर्चुअल कॉन्फ्रेंस प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा, “यह भी दलील दी गई है कि आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश होने की इजाजत है, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाएं ठीक से काम नहीं कर रही हैं। राज्य वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाओं का कुशल संचालन सुनिश्चित करेगा, ताकि आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश हो सके।”
सुनवाई के दौरान ग्रोवर ने दलील दी कि गाडलिंग को अनुचित तरीके से “नामजद” किया गया है, क्योंकि उन्होंने नक्सलियों से जुड़े कुछ मामलों में वकील के रूप में पैरवी की थी। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के अपने रिकॉर्ड के अनुसार मुकदमा शुरू करने में देरी के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है।
ग्रोवर ने कहा कि मुख्य साक्ष्य इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में है और भीमा कोरेगांव मामले से मेल खाता है, इसके बावजूद कि राज्य ने उन्हें इलेक्ट्रॉनिक सामग्री की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई हैं।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने शीर्ष अदालत को बताया कि भीमा कोरेगांव मामले के रिकॉर्ड के हस्तांतरण के अनुरोध वाली एक अर्जी अभी भी निचली अदालत में लंबित है और गाडलिंग ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है।
शीर्ष अदालत ने गाडलिंग को अर्जी पर एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और निचली अदालत से 15 जनवरी 2026 तक याचिका पर फैसला करने को कहा।
इसी के साथ न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 जनवरी 2026 की तारीख निर्धारित कर दी।
ग्रोवर ने 24 सितंबर को पीठ को बताया था कि गाडलिंग इस मामले में छह साल सात महीने से जेल में बंद हैं।
शीर्ष अदालत ने उनकी लंबी कैद पर चिंता जताई थी और अभियोजन पक्ष से मुकदमे की सुनवाई में देरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था।
माओवादी विद्रोहियों ने 25 दिसंबर 2016 को उन 76 वाहनों को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया था, जिनका इस्तेमाल महाराष्ट्र के गढ़चिरौली स्थित सूरजगढ़ खदानों से लौह अयस्क के परिवहन के लिए किया जा रहा था।
गाडलिंग पर जमीनी स्तर पर सक्रिय माओवादियों को सहायता प्रदान करने का आरोप है। उन पर मामले के कई सह-आरोपियों और कुछ फरार आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रचने का भी आरोप है।
गाडलिंग के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
गाडलिंग पर आरोप है कि उन्होंने माओवादियों से सुरजागढ़ खदानों के संचालन का विरोध करने को कहा था और कई स्थानीय लोगों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए उकसाया था।
भाषा पारुल