विपक्ष एसआईआर पर जवाबदेही मांग रहा है, ‘ड्रामा’ नहीं कर रहा: तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक
आशीष सुरेश
- 01 Dec 2025, 10:12 PM
- Updated: 10:12 PM
(फाइल फोटो सहित)
डायमंड हार्बर (पश्चिम बंगाल), एक दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस आरोप पर पलटवार किया कि विपक्ष संसद को चुनावी हार के बाद ‘हताशा निकालने का मंच’ बना रहा है।
बनर्जी ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और शासन संबंधी अन्य मुद्दों पर जवाबदेही की मांग को ड्रामेबाजी कहकर खारिज नहीं किया जा सकता।
बनर्जी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री ने शीतकालीन सत्र से पहले संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सदन ‘ड्रामा’ करने की जगह नहीं है, यह काम करने की जगह है’। प्रधानमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष ने संसद को चुनावी हार के बाद हताशा निकालने का मंच बना दिया।
बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विपक्ष ने केवल एसआईआर पर औपचारिक बहस की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि कथित प्रक्रियागत खामियों के कारण पहले ही ‘बीएलओ सहित लगभग 40 मौतें’ हो चुकी हैं।
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, ‘‘विपक्ष एसआईआर पर बहस की मांग कर रहा है। क्या यह ‘ड्रामा’ है? अगर लोगों की आवाज उठाना ‘ड्रामा’ है तो लोग अगले चुनाव में उन्हें जवाब देंगे।’’
बनर्जी ने अपने डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर-सेवा आश्रय के दूसरे चरण की शुरुआत के वक्त यह टिप्पणी की।
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने निर्वाचन आयोग को ‘अनियोजित और गड़बड़ियों से भरी’ पुनरीक्षण प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि बीएलओ को न तो प्रशिक्षित किया गया है और न ही कार्यभार संभालने के लिए तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा, "निर्वाचन आयोग ने बीएलओ को प्रशिक्षित नहीं किया। उसने गड़बड़ियों को ठीक नहीं किया। मतदाता सूची अद्यतन नहीं की गई है। अनियोजित एसआईआर के कारण 40 लोगों की मौत हो गई। सरकार की जवाबदेही कहां है?"
बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर विभिन्न क्षेत्रों में जिम्मेदारी से बचने और कुछ खास मुद्दों पर ही आगे आने का आरोप लगाया।
बनर्जी ने कहा, ‘‘दस साल पहले नोटबंदी के दौरान लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े थे। काले धन का प्रवाह बढ़ गया है। जवाबदेही कहां है? विस्फोट हो रहे हैं और आतंकवादी देश में घुस रहे हैं। फिर जवाबदेही कहां है?’’
बनर्जी ने कहा कि विपक्ष संवैधानिक दायरे में सरकार और निर्वाचन आयोग से सवाल कर रहा है। उन्होंने कहा, "सिर्फ इसलिए कि उन्होंने कुछ राज्यों में जीत हासिल की, इसका मतलब यह नहीं है कि वे लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। अगर वे गैर-जवाबदेही के इस रास्ते पर चलते रहे तो यही लोग उन्हें सत्ता से हटा देंगे।"
पहलगाम आतंकी हमले के दौरान कथित चूक का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चुनिंदा तरीके से यह तय नहीं कर सकती कि वैध जांच क्या है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहलगाम पर, एसआईआर से जुड़ी 40 मौतों पर सवाल उठा रहे हैं और भाजपा सोचती है कि यह ‘ड्रामा’ है? हम एसआईआर के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि जिस तरीके से इसे अंजाम दिया जा रहा है उसके खिलाफ हैं।’’
पूर्वोत्तर राज्यों में एसआईआर न कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया को आयोजित करने के पीछे निर्वाचन आयोग की "मंशा" उसके दावों के विपरीत है।
उन्होंने पूछा, "यदि विचार इस देश में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने का है, तो एसआईआर प्रक्रिया केवल बंगाल में ही क्यों की जा रही है, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय में क्यों नहीं, जिनकी सीमा भी बांग्लादेश से लगती है?"
बनर्जी ने कहा, "भाजपा दावा करती है कि एसआईआर से बंगाल में रहने वाले एक करोड़ रोहिंग्याओं की पहचान होगी। लेकिन इसकी सीमा म्यांमा से नहीं लगती। जिन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिज़ोरम और मणिपुर की सीमाएं इससे लगती हैं वहां एसआईआर प्रक्रिया नहीं हो रही।’’
उन्होंने कहा कि अगर निर्वाचन आयोग विदेशियों की पहचान को लेकर गंभीर होता, तो उसने इन राज्यों से एसआईआर की शुरुआत की होती, क्योंकि ये बाहरी लोगों के प्रवेश द्वार हैं।
भाषा आशीष