रक्षा क्षेत्र की निजी कंपनियों से विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान
अमित नरेश
- 01 Dec 2025, 04:41 PM
- Updated: 04:41 PM
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) वायुसेना उप प्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने रक्षा क्षेत्र के निजी उद्योग के सदस्यों को बहुत सारे क्षेत्रों में हाथ आजमाने का प्रयास करने के बजाय उन विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जिसमें वे ‘‘मजबूत’’ हैं।
एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने रक्षा साझेदारी विषय पर यहां आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें यह देखना होगा कि अपने वर्तमान विमानों और प्लेटफार्म को अगली पीढ़ी के हथियारों को ले जाने में कैसे सक्षम बनाया जाए, जिसमें इंटर-लिंक और डेटा लिंक शामिल होंगे।’’
विभिन्न वायुसेना अधिकारी, रक्षा विशेषज्ञ और रक्षा क्षेत्र में कार्यरत कई कंपनियों के प्रतिनिधि मानेकशॉ सेंटर में रक्षा थिंक टैंक सेंटर फॉर एयरोस्पेस पावर एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज और इंडियन मिलिट्री रिव्यू (आईएमआर) द्वारा आयोजित सेमिनार में भाग ले रहे हैं।
वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि उद्योग जगत को उनकी सलाह है कि वे "दीर्घकालिक" भूमिका के बारे में सोचें। उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी कंपनियों को भूमिका निभाने की जरूरत है। बड़ी कंपनियों को सभी तकनीकों को अकेले विकसित करने से कहीं अधिक, एकीकरण केंद्र बनने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों के सदस्यों के प्रयास ऐसे होने चाहिए कि "प्रत्येक अपने क्षेत्र में विशिष्ट स्थान बनाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक ही समय में बहुत सी चीजों में हाथ आजमाने की प्रवृत्ति होती है। इससे निश्चित तौर पर आपका ध्यान भटक जाता है, आप इस बात पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते कि किस दिशा में जाना है।’’
उन्होंने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए एयरो इंजन तकनीक का उदाहरण दिया।
एयर मार्शल तिवारी ने कहा, ‘‘हालांकि सरकार इसमें बड़ी भूमिका निभाएगी, शायद डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) भी इसमें शामिल हो, लेकिन इसमें निजी क्षेत्र के लिए भी पर्याप्त संसाधन होंगे और घटकों के स्तर पर भी, चाहे वह पंप हों, दहन कक्ष हों, ईंधन इंजेक्टर हों, इनमें से बहुत सी चीजें बिल्कुल नए सिरे से विकसित की जा सकती हैं।’’
उन्होंने कहा कि यूरोप में, वे बहुत ही विशिष्ट उपकरण बनाते हैं, लेकिन वे "इतने अच्छे" होते हैं कि प्रमुख एयरोस्पेस कंपनियों को भी अपनी आवश्यकताओं के लिए उनकी जरूरत होती है।
उन्होंने उद्योग के सदस्यों से आग्रह किया, "कृपया विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें, मुख्य रूप से एक या दो क्षेत्रों पर, जिसमें आपकी क्षमता हो, बजाय इसके कि आप बहुत सारे क्षेत्रों में हाथ आजमायें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रकार, हथियारों के मामले में हम लंबी दूरी के, अधिक सटीक हथियारों पर विचार कर रहे हैं। इसलिए, सेंसर, प्रणोदक, मार्गदर्शन प्रणालियां, यहां तक कि इसके पीछे काम आने वाला सॉफ्टवेयर, इन क्षेत्रों में हम काफी अच्छा कर सकते हैं, क्योंकि क्षमता और कौशल मौजूद है।’’
वायुसेना अधिकारी ने कहा कि ड्रोन क्षेत्र में एक "विशाल बाजार" है। उन्होंने कहा, ‘‘यही वह क्षेत्र है जिसमें भारत एक बेहतरीन स्थिति में है। दुनिया के कई अन्य हिस्सों के विपरीत, यहां भू-राजनीतिक स्थिरता काफ़ी हद तक मौजूद है। और आज हमारे पास अगले स्तर तक पहुंचने के लिए मानव पूंजी और संसाधन मौजूद हैं।’’
भारतीय वायुसेना अधिकारी ने 'आत्मनिर्भरता' के महत्व पर जोर दिया और कहा कि "हम यहां जो कुछ भी बनाते हैं, वह हमारे सशस्त्र बलों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें वास्तव में इसे दुनिया के लिए बनाने की गुणवत्ता और क्षमता होनी चाहिए।’’
भाषा अमित