प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर कनाडाई समकक्ष के साथ बातचीत की
पारुल नरेश
- 23 Nov 2025, 10:24 PM
- Updated: 10:24 PM
(तस्वीरों के साथ)
जोहानिसबर्ग, 23 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जोहानिसबर्ग में अपने कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेता व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संबंधों को आगे बढ़ाने के अलावा रक्षा तथा अंतरिक्ष क्षेत्रों में गहन सहयोग की संभावनाएं तलाशने पर सहमत हुए।
जी20 शिखर सम्मेलन से इतर कार्नी से मुलाकात के बाद मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बहुत ही उपयोगी बातचीत हुई।”
यह मोदी और कार्नी की दूसरी मुलाकात थी। इससे पहले, दोनों नेता जून में कनाडा के कनानास्किस में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे।
मोदी ने कहा, “हमने कनाडा में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई हमारी पिछली बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों को मिली उल्लेखनीय गति की सराहना की। हम आने वाले महीनों में, खास तौर पर व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपने संबंधों को और आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।”
उन्होंने कहा कि भारत और कनाडा के बीच व्यापार एवं निवेश संबंधों को मजबूत करने की काफी संभावनाएं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने साल 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। कनाडाई पेंशन फंड भी भारतीय कंपनियों में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।”
भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 30 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया था। भारत उस साल कनाडा का सातवां सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बनकर उभरा था।
मोदी ने कहा कि दोनों देश रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में गहन सहयोग की संभावनाएं तलाशने तथा निकट भविष्य में फिर से मिलने पर भी सहमत हुए।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, “दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मिली मजबूत गति का स्वागत किया...।”
वहीं, विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोदी और कार्नी ने ऑस्ट्रेलिया-कनाडा-भारत प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसीआईटीआई) साझेदारी को अपनाए जाने का स्वागत किया, जिससे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, परमाणु ऊर्जा, आपूर्ति शृंखलाओं के विविधीकरण और एआई के क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने जून 2025 में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनानास्किस में हुई बैठक के बाद से संबंधों को मिली नयी गति और अक्टूबर 2025 में विदेश मंत्रियों की ओर से द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए नया रोडमैप पेश किए जाने की सराहना की।
बयान के अनुसार, दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापार एवं निवेश, रक्षा, शिक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्नी ने फरवरी 2026 में भारत की ओर से आयोजित किए जाने वाले एआई शिखर सम्मेलन के लिए समर्थन जताया।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “दोनों नेताओं ने उच्च-महत्वाकांक्षी व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई, जिसका मकसद 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। दोनों पक्षों ने अपने दीर्घकालिक असैन्य परमाणु सहयोग की पुष्टि की। उन्होंने दीर्घकालिक यूरेनियम आपूर्ति व्यवस्था सहित अन्य मुद्दे पर सहयोग बढ़ाने के लिए जारी चर्चाओं में हुई प्रगति की समीक्षा की।”
मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान के महत्व पर बल दिया। उसने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री कार्नी को भारत आने का न्योता दिया।
नवंबर की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नियाग्रा में जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान अपनी कनाडाई समकक्ष अनीता आनंद से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की थी।
कनाडा के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री मनिंदर सिद्धू ने भी द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीके तलाशने के लिए इस महीने भारत की यात्रा की थी।
साल 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सरे में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की संलिप्तता के आरोप लगाए थे, जिसके बाद भारत-कनाडा संबंधों में भारी गिरावट आई थी।
भारत ने कनाडा के आरोपों को “बेतुका” बताते हुए खारिज कर दिया था।
हाल के महीनों में दोनों देशों ने आपसी तल्खी को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई तंत्रों को पुनर्जीवित करने पर भी सहमत हुए हैं।
भाषा पारुल