एसआईआर सुधार नहीं, बल्कि अत्याचार है: कुछ राज्यों में बीएलओ की मौत के बाद भाजपा पर कांग्रेस का हमला
पारुल नेत्रपाल
- 23 Nov 2025, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में शामिल बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की मौत को लेकर रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा।
पार्टी ने एसआईआर की प्रक्रिया को ‘‘थोपा गया जुल्म’’ और ‘‘नागरिकों को परेशान करने की सोची-समझी चाल’’ करार दिया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अनावश्यक दबाव के कारण हुई बीएलओ की मौतों को ‘‘कोलैटरल डैमेज’’ मानकर नजरअंदाज किया जा रहा है।
पार्टी नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि मतदाता सूची के एसआईआर के नाम पर देशभर में ‘‘अफरा-तफरी मचा दी गई है।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘नतीजा? तीन हफ्तों में 16 बीएलओ की जान चली गई। दिल का दौरा, तनाव, आत्महत्या-एसआईआर कोई सुधार नहीं, थोपा गया जुल्म है।’’
गांधी ने लिखा कि निर्वाचन आयोग ने एक ऐसी प्रक्रिया बनाई है, जिसमें नागरिकों को अपना नाम तलाशने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के स्कैन किए हुए हजारों पन्ने पलटने पड़ रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मकसद साफ है-वैध मतदाता थककर हार जाएं और ‘वोट चोरी’ बिना रोक-टोक जारी रहे।’’
गांधी ने कहा कि भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, लेकिन निर्वाचन आयोग आज भी कागजों का जंगल खड़ा करने पर ही अड़ा हुआ है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘अगर नीयत साफ होती, तो सूची डिजिटल प्रारूप में, आसानी से नाम तलाशने और मशीन के पढ़े जाने के योग्य होती। और निर्वाचन आयोग 30 दिन के भीतर हड़बड़ी में अंधाधुंध काम करवाने के बजाय उचित समय लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर ध्यान देता।’’
गांधी ने कहा, ‘‘एसआईआर एक सोची-समझी चाल है, जिसके तहत नागरिकों को परेशान किया जा रहा है और अनावश्यक दबाव के कारण होने वाली बीएलओ की मौतों को ‘कोलैटरल डैमेज’ मानकर अनदेखा किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह विफलता नहीं, बल्कि एक षड्यंत्र है; सत्ता की रक्षा के लिए लोकतंत्र की बलि दी जा रही है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस मुद्दे पर भाजपा पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने दावा किया कि एसआईआर का ‘‘जल्दबाजी’’ में किया गया क्रियान्वयन नोटबंदी और कोविड-19 लॉकडाउन की याद दिलाता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की ‘वोट चोरी’ अब जानलेवा रूप ले चुकी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें दावा किया गया है कि मतदाता सूची के एसआईआर के दौरान 19 दिन में 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि काम का अत्यधिक बोझ बीएलओ और मतदान अधिकारियों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहा है।
खरगे ने लिखा, ‘‘मेरी संवेदनाएं हर उस परिवार के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। जमीनी हकीकत की बात करें तो मृतकों की वास्तविक संख्या बताई गई संख्या से कहीं ज्यादा है, जो बेहद चिंताजनक है। इन परिवारों को न्याय कौन दिलाएगा?’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा चोरी से हासिल सत्ता की मलाई खाने में व्यस्त है और निर्वाचन आयोग मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहा है।’’
खरगे ने दावा किया, ‘‘एसआईआर का जल्दबाजी में, अनियोजित तरीके से जबरन क्रियान्वयन नोटबंदी और कोविड-19 लॉकडाउन की याद दिलाता है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा की सत्ता की भूख संस्थाओं को लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए मजबूर कर रही है, संविधान की धज्जियां उड़ा रही है और लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत हो गया! अगर हम अब भी नहीं जागे, तो लोकतंत्र के आखिरी स्तंभों को ढहने से कोई नहीं बचा सकता। जो लोग एसआईआर और ‘वोट चोरी’ पर चुप हैं, वे इन निर्दोष बीएलओ की मौत के जिम्मेदार हैं। आवाज उठाइए, लोकतंत्र बचाइए!’’
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में बीएलओ के रूप में कार्यरत एक महिला शनिवार को अपने आवास पर फंदे से लटकी हुई पाई गई। पुलिस के मुताबिक, मृतका के परिजनों ने दावा किया कि वह काम को लेकर काफी तनावग्रस्त थी, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीएलओ की मौत पर दुख जताया और कहा कि यह अब ‘‘वास्तव में चिंताजनक’’ हो गया है।
बनर्जी ने मृतका की ओर से छोड़ा गया कथित सुसाइड नोट भी साझा किया, जिसमें उसने निर्वाचन आयोग को अपने इस कदम के लिए कसूरवार ठहराया है। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने दावा किया कि यह सुसाइड नोट ‘‘फर्जी’’ है।
अधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश के रायसेन और दमोह जिलों में एसआईआर के लिए मतदाता सूची के सर्वेक्षण के काम में जुटे दो बीएलओ की शुक्रवार को ‘‘बीमारी’’ के कारण मौत हो गई।
भाषा पारुल