अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ: चंडीगढ़ प्रशासन पर विवाद के बीच केंद्र ने कहा
प्रशांत नेत्रपाल
- 23 Nov 2025, 04:09 PM
- Updated: 04:09 PM
नयी दिल्ली/चंडीगढ़, 23 नवंबर (भाषा) चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे पर अपने कदम को लेकर आलोचनाओं के घेरे में आई केंद्र सरकार ने रविवार को कहा कि प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। इसने कहा कि इसका मकसद केंद्र शासित प्रदेश तथा पंजाब और हरियाणा के बीच पारंपरिक व्यवस्था को बदलना नहीं है।
चंडीगढ़ पर केंद्र के कदम को लेकर पंजाब में कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसे पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर “सीधा हमला” बताया है।
विवाद की शुरुआत लोकसभा और राज्यसभा के एक बुलेटिन को लेकर हुई। बुलेटिन के मुताबिक, केंद्र ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है, जो राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए नियम बनाने और सीधे कानून बनाने का अधिकार देता है।
इससे चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक की नियुक्ति का रास्ता खुल सकता है, जैसा कि पहले एक स्वतंत्र मुख्य सचिव हुआ करते थे।
घटनाक्रम को लेकर पंजाब में राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि चंडीगढ़ में ‘‘कानून बनाने को आसान करने’’ के प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि इसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश और पंजाब तथा हरियाणा के बीच पारंपरिक व्यवस्था को बदलना नहीं है।
चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “प्रस्ताव केवल केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार के कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने से संबंधित है और यह अब भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है।”
इस प्रस्ताव को लेकर पंजाब के नेताओं की चिंताओं को दूर करते हुए, मंत्रालय ने कहा कि यह प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे को बदलने की कोशिश नहीं करता और न ही इसका उद्देश्य ‘‘चंडीगढ़ और पंजाब या हरियाणा राज्यों के बीच पारंपरिक व्यवस्थाओं’’ को बदलना है।
इसने कहा, “चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए, सभी हितधारकों से अच्छी तरह सलाह-मशविरा करने के बाद ही कोई सही फैसला लिया जाएगा। इस मामले में किसी भी तरह की चिंता की कोई जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस बारे में कोई विधेयक लाने का कोई इरादा नहीं है।”
इस कदम से पंजाब में राजनीतिक हलकों में आक्रोश है। राज्य में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है और सरकार पर पंजाब से चंडीगढ़ “छीनने” की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के इस प्रस्तावित कदम का कड़ा विरोध किया और इसे पंजाब की पहचान तथा संवैधानिक अधिकारों पर ‘‘सीधा हमला’’ बताया है।
केजरीवाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को खत्म करने की कोशिश किसी साधारण कदम का हिस्सा नहीं, बल्कि पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। संघीय ढांचे की धज्जियां उड़ाकर पंजाबियों के हक छीनने की यह मानसिकता बेहद खतरनाक है।’’
उन्होंने कहा, “जिस पंजाब ने देश की सुरक्षा, अनाज, पानी और इंसानियत के लिए हमेशा बलिदान दिया, आज उसी पंजाब को उसके अपने हिस्से से वंचित किया जा रहा है। यह केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं बल्कि यह पंजाब की आत्मा को चोट पहुंचाने जैसा है।”
केजरीवाल ने कहा, “इतिहास गवाह है कि पंजाबियों ने कभी किसी तानाशाही के सामने सिर नहीं झुकाया। पंजाब आज भी नहीं झुकेगा। चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब का रहेगा।”
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस कदम से पंजाब चंडीगढ़ पर अपना अधिकार खो देगा।
उन्होंने कहा, “शिरोमणि अकाली दल इस शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध करता है। इस संशोधन से चंडीगढ़ एक राज्य बन जाएगा और पंजाब चंडीगढ़ पर अपना अधिकार पूरी तरह खो देगा।”
बादल ने इस प्रस्ताव को पंजाब के लिए एक बड़ा झटका बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शुरू में पंजाब से चंडीगढ़ छीन लिया था। उन्होंने कहा कि इसे अलग राज्य बनाने का फैसला स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “यह संशोधन विधेयक पंजाब के अधिकारों की लूट है और संघीय ढांचे के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। शिरोमणि अकाली दल ऐसा नहीं होने देगा और इस सत्र में इसका कड़ा विरोध करेगा।”
शिअद ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 24 नवंबर को अपनी कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई है। शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में अगले कदम तय किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र के कदम का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रणनीति तय करने के लिए वरिष्ठ संवैधानिक विशेषज्ञों से सलाह ली जाएगी।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 240 में संशोधन का कदम संघवाद को कमजोर करने वाला हमला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 240 में संशोधन का नवीनतम उदाहरण “हरियाणा और पंजाब राज्यों की पहचान, लोकाचार और भावना पर हमला करने का नया हथियार है।”
सुरजेवाला ने हरियाणा और पंजाब के लोगों को संबोधित करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “संविधान के अनुच्छेद 240 में बदलाव करने का भारत सरकार का कदम संघीय ढांचे (संघवाद) को कमजोर करने की एक इरादतन साजिश है। यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के अंतर्गत चंडीगढ़ को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी रखने के हरियाणा और पंजाब के अधिकारों पर भी सीधे सीधे हमला है।”
अभी, पंजाब के राज्यपाल केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर काम करते हैं। यह पहले एक नवंबर 1966 से एक मुख्य सचिव द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रशासित किया जाता था, जब पंजाब का पुनर्गठन किया गया था।
हालांकि, एक जून, 1984 से चंडीगढ़ को पंजाब के राज्यपाल प्रशासित कर रहे हैं और मुख्य सचिव के पद को केंद्र शासित प्रदेश प्रशासक के सलाहकार में बदल दिया गया था।
अगस्त 2016 में, केंद्र ने शीर्ष पद के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी के जे अल्फोंस को नियुक्त करके स्वतंत्र प्रशासन होने की पुरानी प्रथा को फिर से शुरू करने की कोशिश की।
लेकिन, उस समय के पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और कांग्रेस एवं आप समेत दूसरी पार्टियों के कड़े विरोध के बाद यह कदम वापस ले लिया गया था। उस समय शिअद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा था।
पंजाब चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है। वह यह भी चाहता है कि चंडीगढ़ तुरंत उसे स्थातांतरित कर दिया जाए। मुख्यमंत्री ने हाल ही में फरीदाबाद में हुई उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में यह मांग दोहराई थी।
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