विभाजन और भू-राजनीति से वैश्विक सहयोग पर विपरीत असर पड़ा: संरा जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव
अमित संतोष
- 23 Nov 2025, 01:30 PM
- Updated: 01:30 PM
(त्रिदीप लाखड़)
बेलेम (ब्राजील), 23 नवंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र सीओपी30 जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन के बीच संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव साइमन स्टिल ने कहा कि इस साल अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर ‘‘इनकार, विभाजन, और भू-राजनीति’’ का बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा।
ब्राजील में दो सप्ताह की व्यस्त चर्चा के बाद संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता देशों को असामान्य मौसम के असर से निपटने के लिए और अधिक वित्तपोषण के संकल्प के साथ समाप्त हुई।
हालांकि इसमें इसमें जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को धीरे-धीरे समाप्त करने की कोई रूपरेखा शामिल नहीं थी।
सीओपी30 जलवायु शिखर सम्मेलन के नतीजों पर अपने बयान में, स्टिल ने कहा कि वैश्विक संस्था शायद जलवायु की लड़ाई नहीं जीत रही है, लेकिन पक्ष अभी भी इसमें लगे हुए हैं और पक्के इरादे से लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हमें पता था कि यह सीओपी मुश्किल राजनीतिक माहौल में होगा। इनकार, विभाजन और भू-राजनीति ने इस साल अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भारी नुकसान पहुंचाया है।"
स्टिल ने कहा कि हालांकि, सीओपी30 शिखर सम्मेलन ने दिखाया कि जलवायु सहयोग बरकरार है और काम कर रहा है, जिससे रहने लायक धरती को लेकर मानवता की लड़ाई बरकरार है और 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पहुंच के अंदर रखने का पक्का इरादा है। उन्होंने कहा, ‘‘यहां बेलेम में, देशों ने एकता, विज्ञान और आर्थिक सामान्य समझ का चयन किया।’’
अमेरिका का नाम लिए बिना स्टिल ने कहा कि इस साल एक देश के पीछे हटने पर बहुत ध्यान दिया गया है।
अमेरिका इस साल जनवरी में ऐतिहासिक पेरिस समझौते से पीछे हट गया था, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए विश्व शक्तियों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता है।
स्टिल ने कहा, ‘‘राजनीतिक मुश्किलों के बीच, 194 देशों ने एकजुटता के साथ मजबूती से खड़े होकर जलवायु सहयोग के समर्थन में दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। ये 194 देश अरबों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने एक आवाज में कहा है कि पेरिस समझौता काम कर रहा है और इसे आगे और तेज़ी से बढ़ाने का संकल्प लिया।’’
उन्होंने कहा, "हम एक नए समझौते में प्रगति देख रहे हैं जो न्यायपूर्ण संक्रमण पर केंद्रित है। यह इसका संकेत है कि जलवायु लचीलापन और स्वच्छ अर्थव्यवस्था का निर्माण भी न्यायपूर्ण होना चाहिए, ताकि हर देश और हर व्यक्ति इसके वृहद लाभों में शामिल हो सके। हम इसे अनुकूलन वित्त को तिगुना करने के समझौते में भी देख रहे हैं।’’
नया समझौता यह सुनिश्चित करता है कि अधिक देशों को वह समर्थन मिलेगा जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
‘2025 एडेप्टेशन गैप रिपोर्ट’ के अनुसार, विकासशील देशों को 2035 तक हर साल 310-365 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी, जबकि वर्तमान में यह राशि केवल 26 अरब डॉलर के आसपास है।
स्टिल ने कहा, ‘‘पहली बार, 194 देशों ने एक स्वर में कहा कि वैश्विक स्तर पर कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु-लचीलापन की तरफ संक्रमण अपरिवर्तनीय है और यही भविष्य की दिशा है। विभिन्न देश इस बात से अक्षरश: सहमत हैं क्योंकि यही सच है।’’
भाषा अमित