‘मियां’ एकजुट होकर वोट करते हैं, जबकि ‘हमारे मत’ बिखरे हुए हैं : हिमंत
धीरज दिलीप
- 22 Nov 2025, 07:26 PM
- Updated: 07:26 PM
गुवाहाटी, 22 नवंबर (भाषा)असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को दावा किया कि ‘मियां’ एकजुट होकर वोट डालते हैं, जिसकी वजह से वे ‘राजनीतिक रूप से मजबूत रहते हैं’, जबकि ‘हमारे लोगों’ के वोट बिखरे हुए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि निचले असम अर्थात ब्रह्मपुत्र घाटी के पश्चिमी हिस्से के जिलों से अवैध रूप से बसने वालों को ‘और आगे बढ़ने से रोकने’ के लिए उन पर लगातार ‘दबाव’ बनाए रखना होगा।
शर्मा ने विभिन्न कार्यक्रमों के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मियां लोग एक साथ, एकमुश्त वोट करते हैं। इसलिए वे राजनीतिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। हमारे वोट बिखरे हुए हैं। इसलिए मैं हमारे लोगों से कहता हूं कि एकजुट होकर वोट करें, चाहे किसी भी पार्टी या व्यक्ति के पक्ष में क्यों न हो।’’
‘मियां’ मूल रूप से असम में बांग्ला-भाषी मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है, और गैर-बांग्लाभाषी लोग आमतौर पर उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिया मानते हैं। हाल के वर्षों में समुदाय के कार्यकर्ताओं ने प्रतिरोध के रूप में इस शब्द को अपनाना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने राज्य के कई हिस्सों में बांग्ला-भाषी मुसलमानों के बहुसंख्यक हो जाने की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए कहा, ‘‘ निचले असम को उनसे वापस नहीं लिया जा सकता। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आगे न बढ़ सकें। हमें उन पर दबाव बनाए रखना होगा और ऐसी परिस्थितियां पैदा करनी होंगी कि भले ही आज नहीं, लेकिन 10–15 वर्षों में वे यहां से जाने को मजबूर हो जाएं।’’
शर्मा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी उन लोगों की समस्याएं हल करने में नाकाम रही है, जिन्होंने वर्षों तक उसे वोट दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस यहां 60 साल तक सत्ता में रही। वे ज़मीन का ‘पट्टा’ दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।’’ उनका सदंर्भ जंगल और अन्य सरकारी ज़मीनों पर बड़े पैमाने पर हुए अतिक्रमण की ओर था, जो कथित तौर पर बांग्लाभाषी मुसलमानों द्वारा किया गया है।
शर्मा ने कहा, ‘‘वे जंगल और अन्य सरकारी जमीनों पर रह रहे थे। अगर उन्हें उन क्षेत्रों से हटाकर कहीं और बसाया जाता और उन्हें ज़मीन के अधिकार दिए जाते, तो अब बेदखली की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन पार्टी ने उनके लिए काम नहीं किया। वे निश्चित रूप से पार्टी से सवाल पूछेंगे।’’
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तैयारियों पर उन्होंने कहा कि ‘‘कुछ चुनौतियां’’ रहेंगी, क्योंकि पार्टी अपनी तीन सहयोगी पार्टियों -असम गण परिषद (अगप), यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ)के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आगे बढ़ने के लिए कुछ रणनीति बनानी होगी। नए समीकरण तैयार करने होंगे। हमारे सहयोगियों के साथ जल्द ही चर्चा की जाएगी।’’
भाषा धीरज