स्टालिन ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र, कहा - मेट्रो रेल परियोजनाओं को नामंजूर करने से लोग नाराज
पारुल सुभाष
- 22 Nov 2025, 05:52 PM
- Updated: 05:52 PM
चेन्नई, 22 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कोयंबटूर और मदुरै में मेट्रो रेल परियोजनाओं से जुड़े प्रस्तावों को खारिज करने के केंद्र सरकार के फैसले के प्रति अपनी निराशा जताई।
स्टालिन ने मोदी से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसे लेकर जनता में भारी नाराजगी है।
उन्होंने कहा कि बड़े ‘विकास इंजन’ वाले शहरों में उच्च क्षमता वाले सार्वजनिक परिवहन विकल्प अनिवार्य हैं।
स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु देश का सबसे अधिक शहरीकृत राज्य है, जहां प्रति व्यक्ति निजी वाहन की संख्या काफी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि इसके देखते हुए राज्य सरकार ने कोयंबटूर और मदुरै में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार की तथा इन्हें मंजूरी के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के पास भेज दिया।
स्टालिन ने कहा कि हालांकि, एमओएचयूए ने इन प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया। उन्होंने संबंधित फैसले को लेकर अपनी सरकार की निराशा और पीड़ा जाहिर की।
मुख्यमंत्री ने कहा, “इस फैसले से दोनों शहर के लोगों में भारी नाराजगी पैदा हो गई है कि अन्य राज्यों में ऐसी परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई, लेकिन उनकी वैध जरूरतों को खारिज कर दिया गया।”
स्टालिन ने याद दिलाया कि जब वह इस साल 24 मई और 26 जुलाई को प्रधानमंत्री से मिले थे, तब उन्होंने इन परियोजनाओं के बारे में उन्हें व्यक्तिगत रूप से बताया था और प्राथमिकता अनुरोधों पर एक ज्ञापन भी पेश किया था।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को इन प्रस्तावों को नामंजूर करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दें।
स्टालिन ने कहा, “मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को प्रस्तावों को लौटाने के फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दें... अगर जरूरी हो तो मैं नयी दिल्ली में अपनी टीम के साथ आपसे मिलकर आपको विस्तार से मुद्दों से अवगत कराने के लिए तैयार हूं।”
उन्होंने कहा, “चूंकि, ये दोनों परियोजनाएं तमिलनाडु के औद्योगिक और सांस्कृतिक केंद्रों की आकांक्षाओं से जुड़ी हुई हैं, इसलिए मैं इस मुद्दे पर आपके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की आशा करता हूं।”
स्टालिन ने परियोजनाओं को नामंजूर करने के लिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से गिनाए गए “कथित कारणों” को अनुचित करार दिया।
खबरों के अनुसार, मेट्रो रेल नीति 2017 में 20 लाख की आबादी के मानदंड को अस्वीकृति के मुख्य कारणों में से एक बताया गया है।
स्टालिन ने कहा, “मैं इस बात का उल्लेख करना चाहता हूं कि कोयंबटूर एलपीए (स्थानीय योजना प्राधिकरण) क्षेत्र की आबादी 2011 में ही 20 लाख से अधिक हो गई थी। वहीं, मदुरै के मामले में भी अपेक्षित जनसंख्या अब इससे अधिक होने का अनुमान है।”
उन्होंने कहा कि इस समय यह रेखांकित करना उचित होगा कि अगर 20 लाख का मानदंड समान रूप से लागू किया गया होता, तो आगरा, इंदौर और पटना जैसे टियर-2 शहरों में कई मेट्रो परियोजनाएं साकार नहीं हो पातीं।
स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु से जुड़े प्रस्तावों पर इस मानदंड को “भेदभावपूर्ण रूप से लागू किए जाने से” लोगों में यह भावना पैदा हुई है कि “हमारे शहरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।”
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह “तमिलनाडु के शहरों को ऊपर गिनाए गए शहरों के समान” मानकर इस धारणा को दूर करे।
भाषा पारुल