भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार की सूची को लेकर बीजद और भाजपा के बीच खींचतान
सिम्मी नेत्रपाल
- 22 Nov 2025, 02:49 PM
- Updated: 02:49 PM
भुवनेश्वर, 22 नवंबर (भाषा) पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में रखे आभूषणों और कीमती वस्तुओं की सूची को लेकर ओडिशा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) के बीच शनिवार को वाकयुद्ध छिड़ गया।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढी ने शुक्रवार को घोषणा की कि मंदिर के अधिकारियों ने रत्न भंडार की सूची चरणबद्ध तरीके से बनाने का निर्णय लिया है और यह प्रक्रिया अगली अक्षय तृतीया (19 अप्रैल, 2026) तक पूरी हो जाएगी।
बीजद ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार रत्न भंडार में रखे आभूषणों और कीमती सामान की सूची बनाने में ‘‘देरी और टालमटोल’’ की रणनीति अपना रही है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने तुरंत इस आरोप को खारिज किया और दावा किया कि बीजद को भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
भाजपा की ओडिशा इकाई के प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा, ‘‘बीजद अपने 24 साल के शासन के दौरान रत्न भंडार नहीं खोल पाई जबकि गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब सहित कई लोगों ने इसकी तत्काल मरम्मत की मांग की थी। सत्ता में आने के बाद भाजपा ने रत्न भंडार खोला और 13 महीनों के भीतर इसकी मरम्मत भी कर दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘...लोगों ने देखा है कि पिछली बीजद सरकार ने 2025 में नवकलेवर (नयी मूर्ति की स्थापना) उत्सव के प्रबंधन में कैसे गलतियां कीं। उन्हें श्री जगन्नाथ मंदिर मामले पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।’’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंदिर के अंदर स्थित रत्न भंडार 46 साल के अंतराल के बाद 14 जुलाई, 2024 को खोला गया था और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इसकी मरम्मत एवं जीर्णोद्धार में लगभग एक साल का समय लगा। मंदिर प्रशासन ने सात जुलाई को घोषणा की कि मंदिर के संरक्षक एएसआई ने रत्न भंडार की मरम्मत पूरी कर ली है।
बीजद ने एक बयान में कहा, ‘‘भाजपा सरकार रत्न भंडार सूची पर राजनीति कर रही है। सूची तैयार करने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से किए जाने का एसजेटीए के मुख्य प्रशासक का शुक्रवार को दिया गया बयान यह साबित करता है कि भाजपा सरकार इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर नहीं है और केवल मामले का राजनीतिकरण कर रही है।’’
बीजद प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने कहा, ‘‘भाजपा ने रत्न भंडार के बारे में व्यापक रूप से गलत जानकारी फैलाई थी और सत्ता में आने पर सूची बनाने का वादा किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद, भाजपा सरकार देरी और टालमटोल के हथकंडे अपना रही है। मुख्य प्रशासक के ताजा बयान से यह स्पष्ट नहीं होता कि गणना प्रक्रिया वास्तव में कब शुरू होगी।’’
मोहंती ने कहा कि चुनावों के दौरान भाजपा ने दर्शन की व्यवस्था और परिक्रमा (गलियारा) परियोजना को लेकर कई सवाल उठाए थे, लेकिन 12वीं सदी के इस मंदिर में दर्शन व्यवस्था अब पूरी तरह से अव्यवस्थित हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘श्रद्धालुओं के लिए पहले स्थापित वातानुकूलित सुरंग को हटा दिया गया है जिससे तीर्थयात्रियों को अत्यधिक असुविधा हो रही है। मंदिर के अंदर अक्सर भीड़भाड़ और अव्यवस्था देखी जा रही है और सुचारू दर्शन का कानून मंत्री का आश्वासन एक खोखला वादा बनकर रह गया है।’’
विपक्षी दल ने कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1955 की धारा छह के अनुसार मंदिर प्रबंध समिति में 18 सदस्य होने चाहिए लेकिन सरकार ने केवल 10 सदस्यों की नियुक्ति की है जिससे साफ जाहिर होता है कि वह मंदिर प्रशासन को गंभीरता से नहीं ले रही और केवल सतही एवं लापरवाह तरीके से मामलों का प्रबंधन कर रही है।
भाषा सिम्मी