आज की नयी दुनिया को नए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता है: राजनाथ सिंह
किशोर जफर जोहेब
- 21 Nov 2025, 10:37 PM
- Updated: 10:37 PM
(फोटो के साथ)
लखनऊ, 21 नवंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि इजराइल-हमास और यूक्रेन-रूस जैसे वैश्विक संघर्षों और सूडान में जारी मानवीय संकट को हल करने में संयुक्त राष्ट्र "काफी मजबूत" भूमिका निभा सकता था।
उन्होंने कहा कि आज की नयी दुनिया को एक नए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता है।
सिंह अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ में सिटी मांटेसरी स्कूल की ओर से आयोजित "विश्व के प्रधान न्यायधीशों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन" को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष जारी हैं, जिनमें इजराइल-हमास संघर्ष, यूक्रेन-रूस युद्ध और सूडान समेत अफ्रीका के कई क्षेत्रों में जारी मानवीय संकट शामिल है।
सिंह ने कहा, "इन सब के बीच, हमें संयुक्त राष्ट्र से एक बहुत मजबूत भूमिका की उम्मीद थी। लेकिन हम ऐसा होता नहीं देख रहे हैं। ऐसा होता दिखना चाहिए था।”
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक राजनीति की जटिलताओं, प्रमुख शक्तियों के प्रभाव और संस्थागत प्रक्रियाओं की धीमी गति के कारण ऐसा हो रहा है।
उन्होंने कहा, "इन कारकों ने अक्सर संयुक्त राष्ट्र की शक्तियों पर सवाल उठाए हैं।”
सिंह ने कहा, "यह स्थिति तभी बदल सकती है जब हम संयुक्त राष्ट्र को पुन: उसके मूल उद्देश्य — शांति, न्याय व समान प्रतिनिधित्व — की ओर ले जाएं, जिसकी कल्पना इसकी स्थापना के समय की गई थी।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आज की नयी दुनिया को एक नए संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है।”
सिंह ने इस बात पर खुशी जताई कि यह कार्यक्रम उनके संसदीय क्षेत्र में हो रहा है।
सिंह ने कहा, “आज का सम्मेलन अपने आप में बहुत अनूठा है और इसका विषय "न्यू लुक एट द यूनाइटेड नेशंस एंड इट्स चार्टर: ग्लोबल गवर्नेंस फॉर अ सस्टेनेबल फ्यूचर इन अ फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड" काफी प्रांसगिक है।”
उन्होंने कहा, “जब हम संयुक्त राष्ट्र की बात करते हैं, तो हमें सबसे पहले उन हालात पर सोचना चाहिए जिनमें इसकी स्थापना की गई। दूसरे विश्व युद्ध की तबाही के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, शांति और स्थिरता की जरूरत थी। युद्ध के बाद के समय में भी बड़े अंतरराष्ट्रीय परिवर्तन हुए, जिनमें से एक साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का क्रमिक अंत था।”
सिंह ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, ज्यादातर देश औपनिवेशिक शासन के अधीन थे, इसके बाद के एक से डेढ़ दशक में, कई आधुनिक राष्ट्रों का जन्म हुआ,जिससे 100 से 200 साल से चले आ रही व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया।
उन्होंने कहा, “एक तरफ, दुनिया युद्ध के डरावने दौर से उबर रही थी, और दूसरी तरफ, नए देश उभर रहे थे। इन हालात में, एक नयी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाना समय की जरूरत बन गई।”
सिंह ने कहा कि दुनिया के नेताओं ने इसे पहचाना, जिसके आधार पर संयुक्त राष्ट्र बना।
उन्होंने कहा कि अगले चार से पांच दशक तक, संयुक्त राष्ट्र ने कुछ हद तक वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई और यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता।
सिंह ने कहा, “संस्थान और विचार अपने समय की देन होते हैं, और जब हालात बदलते हैं, तो सुधार जरूरी हो जाते हैं। पिछले दो से ढाई दशकों में, दुनिया में बड़े बदलाव हुए हैं। ये बदलाव आज भी जारी हैं।”
उन्होंने कहा, “एक तरफ, हम ऐसी खुशहाली देख रहे हैं जो पहले कभी नहीं देखी गई; दूसरी तरफ, दुनिया नयी और ऐसी चुनौतियों का सामना कर रही है जिनका पहले कभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था।”
इतने बड़े पैमाने पर खुशहाली और अस्थिरता का एक साथ होना पहले कभी नहीं हुआ, जिससे यह साफ हो जाता है कि “अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर फिर से सोचने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अपने तत्काल मकसद को कामयाबी से हासिल कर लिया है, लेकिन अब इसे फिर से बनाने और नए सिरे से सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सुधारों पर भारत का रूख बहुत साफ़ है और इसे अलग-अलग वैश्विक मंचों पर पेश किया गया है।
भाषा किशोर जफर