शिअद की तरनतारन में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और 'फर्जी प्राथमिकी' को लेकर आयोग से गुहार, स्वतंत्र जांच की मांग की
अमित प्रशांत
- 17 Nov 2025, 10:27 PM
- Updated: 10:27 PM
चंडीगढ़, 17 नवंबर (भाषा) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने सोमवार को निर्वाचन आयोग में शिकायत देकर आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी (आप) नीत पंजाब सरकार ने 11 नवंबर को तरनतारन उपचुनाव में उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ ‘‘फर्जी प्राथमिकी’’ दर्ज की और ‘‘राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारियां’’ कीं।
शिअद ने निर्वाचन आयोग से उपचुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद दर्ज सभी प्राथमिकी की एक चुनाव पर्यवेक्षक द्वारा स्वतंत्र जांच का आदेश देने का आग्रह किया।
शिअद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने एक लिखित शिकायत में, राज्य सरकार पर निर्वाचन आयोग और उसके पर्यवेक्षकों के समक्ष बार-बार आपत्ति जताए जाने के बावजूद "राज्य मशीनरी का घोर दुरुपयोग" करने का आरोप लगाया।
चीमा ने दो पुलिस उपाधीक्षकों और एक एसएचओ का तबादला करने और तरनतारन की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को निलंबित करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) का धन्यवाद किया, लेकिन आरोप लगाया कि "अकाली कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बेरोकटोक जारी है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि सरपंचों, नगर पार्षदों, पूर्व पार्षदों और व्यापारियों को सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार हरमीत सिंह संधू का समर्थन करने के लिए "खुलेआम धमकाया" गया।
शिअद नेता ने दावा किया कि मतदान के दिन पार्टी के कई नेताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि पुलिस ने अन्य लोगों के घरों पर छापेमारी की और "उनके परिवारों को अपमानित" किया।
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं की मौखिक सूचना एसएसपी, निर्वाचन अधिकारी और पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी को दी गई।
चीमा ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के तबादले और निलंबन के बाद, सत्तारूढ़ दल ने इसे एक "चुनौती" के रूप में लिया और उन अकाली नेताओं को निशाना बनाया जिन्होंने दबाव में आने से इनकार कर दिया।
चीमा ने निर्वाचन आयोग से नतीजों के तुरंत बाद दर्ज सभी प्राथमिकी की एक चुनाव पर्यवेक्षक द्वारा स्वतंत्र जांच का आदेश देने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि कार्रवाई न करने से निर्वाचन आयोग में "जनता का विश्वास खत्म" होगा और एक "खतरनाक मिसाल" कायम होगी।
शिअद नेता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जनता को डराने-धमकाने और यह धारणा बनाने की कोशिश कर रही है कि चुनाव प्रक्रिया के साथ ही निर्वाचन आयोग का अधिकार समाप्त हो जाता है।
उन्होंने निर्वाचन आयोग में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए एक उच्च-स्तरीय स्वतंत्र जांच और आप तथा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
भाषा अमित