आरएसएस की 100 साल की यात्रा बेहद सफल और अद्वितीय: कृष्ण गोपाल
पारुल प्रशांत
- 11 Nov 2025, 10:51 PM
- Updated: 10:51 PM
अहमदाबाद, 11 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने मंगलवार को कहा कि आरएसएस की 100 साल की यात्रा बहुत सफल रही है और दुनिया में इसकी कोई मिसाल नहीं है।
गोपाल ने भारतीय विचार मंच की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू समाज का जीवन लक्ष्य सभी प्राणियों को ज्ञान प्रदान करना और उन्हें सभ्य बनाना है।
इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित अन्य गणमान्य हस्तियां भी शामिल हुईं।
गोपाल ने कहा, “100 वर्षों की यात्रा एक बहुत ही सफल यात्रा है, एक अनूठी यात्रा है, दुनिया में इसकी कोई मिसाल नहीं है। यह हिंदू समाज की ओर से स्वयं विकसित की गई यात्रा है।”
उन्होंने कहा, “हर समाज के कर्तव्य और जिम्मेदारियां होती हैं, हर समाज का एक जीवन लक्ष्य होता है। हमारे हिंदू समाज का जीवन लक्ष्य सभी प्राणियों को ज्ञान प्रदान करना, उन्हें सभ्य बनाना है। केवल हम ही पूरी दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के बारे में बता सकते हैं।”
गोपाल ने कहा कि संघ चाहता है कि पूरा हिंदू समाज संगठित हो। उन्होंने कहा कि आरएसएस तब तक काम करता रहेगा, जब तक पूरे देश में ‘परम एकता’ हासिल नहीं हो जाती।
गोपाल ने कहा, “और जब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता, तब तक जो कुछ भी करने की जरूरत है, आरएसएस को वह करना होगा। इसलिए हमें दो काम करते रहना है : पहला, अपनी शाखाओं का विस्तार करते रहें। 87,000 (शाखाओं) पर न रुकें... यह विस्तार जारी रहेगा। और दूसरा, समाज के सामने आने वाली हर समस्या को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करते रहें और लोगों को अपने साथ लेकर चलें।”
उन्होंने कहा कि आरएसएस संगठन की सर्वव्यापकता के साथ-साथ समाज की सभी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए काम करता है।
गोपाल ने कहा, “एक ओर, जैसे-जैसे हमारा संगठन, जो एक बीज रूप में है, विकसित होता है, हममें समाज की सभी समस्याओं को हल करने की क्षमता होनी चाहिए। हमारे बीज और उसके भीतर के डीएनए, उसके भीतर के गुणवत्ता सूत्र में वह सब कुछ समाहित है, जो समाज के लिए आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि दुनियाभर के लोग आरएसएस पर करीबी नजर रख रहे हैं।
आरएसएस नेता ने कहा, “हिंदुत्व इस देश का राष्ट्रवाद है और केवल हिंदुत्व की मदद से ही यह देश प्रगति कर सकेगा।”
भाषा पारुल