मप्र, उप्र को निजी बस संचालकों को अंतरराज्यीय मार्गों पर अनुमति के लिए चर्चा का न्यायालय का निर्देश
सुरेश माधव
- 04 Nov 2025, 09:05 PM
- Updated: 09:05 PM
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग के अधिकारियों को तीन महीने के भीतर बैठक कर अंतरराज्यीय पारस्परिक परिवहन समझौते पर काम करने के तौर-तरीकों पर विचार का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दोनों राज्यों के परिवहन विभागों के प्रमुख सचिवों और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को परस्पर सुविधाजनक स्थान पर बैठक करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि मध्य प्रदेश राज्य के परिवहन अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य के परिवहन अधिकारियों को यह विश्वास दिलाते हैं कि एमपीएसआरटीसी का समापन हो चुका है या समापन के कगार पर है और इसलिए, वह अपने लिए निर्धारित मार्गों पर स्टेज कैरिज चलाने की स्थिति में नहीं है, तो इन मार्गों को शामिल करने के लिए उचित निर्णय लिया जा सकता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश से शुरू होने वाले और उत्तर प्रदेश में समाप्त होने वाले तथा वापस आने वाले अंतरराज्यीय मार्गों पर निजी बस संचालकों को परिचालन की अनुमति देने के लिए आम सहमति बनाई जानी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘दोनों राज्यों के बीच आम सहमति न बनने की अप्रत्याशित स्थिति में, मध्य प्रदेश को भी अपनी भावी कार्रवाई तय करने की स्वतंत्रता होगी। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि दोनों राज्यों की सहमति के बिना आईएस-आरटी समझौते को रद्द नहीं किया जा सकता। हम एक बार फिर कहते हैं कि ये नीतिगत मामले हैं, इसलिए इन्हें दोनों राज्यों पर छोड़ दिया जाना चाहिए और हम इसे उनके विचार के लिए सुरक्षित रखते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि भारत में सड़क परिवहन के विकास में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है और यात्रियों तथा आवागमन करने वालों के लिए सड़क यात्रा में क्रांति लाने के गंभीर और ईमानदार प्रयास स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘भारत ने इस सदी में, राजमार्गों का एक जटिल नेटवर्क विकसित किया है, जो दूर-दराज के गांवों से आसपास के शहरों और कस्बों तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे अंतिम मील तक संपर्क स्थापित होता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘दूर-दराज के स्थानों के बीच लोगों और माल की तीव्र आवाजाही को सुगम बनाने और इस प्रकार यात्रा समय को कम करने के लिए एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया है। ये राजमार्ग और एक्सप्रेसवे भारत के परिवहन परिदृश्य को बदल रहे हैं और आर्थिक विकास को गति दे रहे हैं।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि ये राजमार्ग/एक्सप्रेसवे पहले से कहीं अधिक समतल हैं।
अदालत ने कहा कि आधुनिक वाहनों के बाजार में आने के साथ, स्टेज कैरिज सेवाओं के संचालक ऐसी सुविधा और आराम प्रदान कर रहे हैं, जो विदेशों में उपलब्ध सेवाओं के बराबर है।
भाषा सुरेश