ओडिशा के उप-निरीक्षक भर्ती घोटाले में एक और व्यक्ति गिरफ्तार
वैभव नरेश
- 03 Nov 2025, 07:26 PM
- Updated: 07:26 PM
भुवनेश्वर, तीन नवंबर (भाषा) पुलिस ने बताया कि ओडिशा में पुलिस उप-निरीक्षक भर्ती ‘घोटाले’ के सिलसिले में सोमवार को एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।
सिलिकॉन टेक लैब के सीईओ सुरेश चंद्र नायक की गिरफ्तारी के साथ, इस मामले में नौकरी चाहने वाले 114 लोगों सहित कुल 125 लोगों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, नौकरी चाहने वालों को तीन दिन पहले जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
नायक को पुलिस द्वारा पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज के मालिक शंकर प्रुस्ती को गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिन बाद गिरफ्तार किया गया था।
ओडिशा पुलिस भर्ती बोर्ड (ओपीआरबी) ने 933 उप-निरीक्षकों की नियुक्ति के लिए संयुक्त पुलिस सेवा परीक्षा (सीपीएसई) 2024 के आयोजन का काम पीएसयू आईटीआई लिमिटेड को आउटसोर्स किया था, जिसने आगे यह काम भुवनेश्वर स्थित सिलिकॉन टेकलैब को दे दिया।
बदले में, सिलिकॉन टेकलैब ने पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज को प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपीं।
अधिकारियों ने बताया कि भर्ती परीक्षा 5 और 6 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन अनियमितताओं का पता चलने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया।
ये अनियमितताएं 29 सितंबर की रात को आंध्र प्रदेश से लगी राज्य की सीमा पर 114 अभ्यर्थियों और तीन संदिग्ध बिचौलियों को पकड़े जाने के बाद पता चलीं। वे भुवनेश्वर से विजयनगरम स्थित एक ‘विशेष कोचिंग’ केंद्र जा रहे थे।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार अभ्यर्थियों ने गिरोह को 10-10 लाख रुपये दिए थे और नौकरी मिलने के बाद उन्हें 25 लाख रुपये और देने थे।
बाद में, कुछ और दलालों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें दिल्ली से संचालित घोटाले के सरगना के सहयोगी भी शामिल थे। हालांकि, सरगना अभी तक पकड़ा नहीं गया है।
पुलिस ने बताया कि 30 सितंबर को ओडिशा सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल के दीघा में 110 अन्य अभ्यर्थियों को भी इसी तरह की ‘कोचिंग’ मिलनी थी, लेकिन ब्रह्मपुर में पुलिस कार्रवाई के कारण इसे रद्द कर दिया गया।
राज्य सरकार ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है क्योंकि इसके अंतरराज्यीय प्रभाव हैं और इसमें संगठित गिरोह शामिल हैं।
विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) इस घोटाले में सीधे तौर पर शामिल है।
बीजद की राज्यसभा सदस्य सुलता देव ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी गृह मंत्री हैं और ओपीआरबी ने जांच की थी। आखिर प्रुस्ती की संस्था, पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजी, को मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना ठेका कैसे मिल गया?’’
बीजद प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने ‘‘इसमें शामिल बड़े नेताओं को बचाने’’ के लिए पहले अपराध शाखा से जांच कराने और फिर सीबीआई जांच की घोषणा की।
भाषा वैभव