मेइती संगठन ने संगाई महोत्सव पर आपत्ति जतायी, कहा- मणिपुर में अभी शांति बहाल नहीं हुई है
अमित माधव
- 31 Oct 2025, 09:49 PM
- Updated: 09:49 PM
इम्फाल, 31 अक्टूबर (भाषा) मणिपुर के मेइती समुदाय के एक शीर्ष निकाय ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष वार्षिक संगाई महोत्सव का आयोजन करना अनुचित है, क्योंकि राज्य में जातीय संघर्ष अभी भी अनसुलझा है और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) राहत शिविरों में रह रहे हैं।
‘कॉर्डिनेटिंग कमिटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (सीओसीओएमआई) के संयोजक लाईखुराम जयंता ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "संघर्ष ने हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया है, आजीविका को नष्ट कर दिया है और समुदायों के बीच विश्वास नष्ट कर दिया है और फिर भी सरकार महोत्सवों के माध्यम से सामान्य स्थिति की झूठी छवि दिखाने को उत्सुक प्रतीत होती है।"
उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारे हज़ारों लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं, तो कठोर सच्चाई को छिपाना और दुनिया को यह दिखाना सही नहीं है कि राज्य में शांति बहाल हो गई है। जब लोगों के जख्म अभी भी हरे हैं, तो सरकार शांति की गुलाबी तस्वीर पेश करके गुमराह नहीं कर सकती।"
उन्होंने कहा कि सरकार ने आंतरिक रूप से विस्थापितों को चरणबद्ध तरीके से उनके घर वापस लौटना सुविधाजनक बनाने का बार-बार आश्वासन दिया है और पहले दिए गए बयानों में संकेत दिया गया था कि विस्थापितों को दिसंबर तक फिर से बसा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई या प्रत्यक्ष प्रगति नहीं देखी गई है। राहत शिविरों में रहने वाले आंतरिक रूप से विस्थापित लोग लगातार कष्ट झेल रहे हैं। जब तक शांति और सामान्य स्थिति पूरी तरह से बहाल नहीं हो जाती, तब तक भव्य पर्यटन उत्सव का आयोजन करना नैतिक रूप से गलत है।’’
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नवंबर के अंत में कई स्थानों पर प्रतिवर्ष 10 दिवसीय संगाई उत्सव आयोजित किया जाता है, लेकिन 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से इसे स्थगित कर दिया गया है। हालांकि, कानून-व्यवस्था में कुछ सुधार के साथ, नवंबर के अंत में उत्सव आयोजित करने के प्रयास जारी हैं।
लाईखुराम ने कहा कि संगाई उत्सव मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है, लेकिन जारी मानवीय और सुरक्षा संकट के बीच इसका आयोजन हिंसा और विस्थापन के पीड़ितों को और अलग-थलग कर देगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को इसे मनाने से पहले राज्य की स्थिति को सुधारना होगा।
इम्फाल घाटी में आईडीपी प्रतिनिधियों ने भी हाल ही में कहा था कि वे इस वर्ष महोत्सव के आयोजन के किसी भी कदम का समर्थन नहीं करते हैं।
भाषा अमित