भाजपा सांसद ने विधानसभा अध्यक्ष खादर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच की मांग दोहराई
खारी संतोष
- 31 Oct 2025, 07:10 PM
- Updated: 07:10 PM
बेंगलुरु, 31 अक्टूबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू. टी. खादर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच किसी सेवारत न्यायाधीश से कराने की अपनी मांग दोहराई।
उत्तर कन्नड़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद ने कहा कि उनकी इच्छा है कि जांच के बाद खादर इन आरोपों से मुक्त हो जाएं।
कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कागेरी ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, “मैंने प्रशासनिक सुधारों के नाम पर अध्यक्ष खादर के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच एक सेवारत न्यायाधीश से कराने की मांग की है।”
उन्होंने कहा, “मैंने कहा है कि संवैधानिक रूप से सम्मानित इस पद की गरिमा और प्रतिष्ठा घट रही है, और इससे बाहर निकलना जरूरी है। एक मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराई जानी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि जांच के बाद खादर और विधानसभा अध्यक्ष के पद से जुड़े आरोपों की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इसके अलावा, मैं कुछ और नहीं कहना चाहता।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कोई दस्तावेजी सबूत पेश करेंगे, तो लोकसभा सदस्य ने कहा कि न्यायाधीश जो भी अपेक्षा करेंगे, वह सब उपलब्ध कराएंगे।
खादर के इस आरोप पर कि कागेरी के बयानों से अध्यक्ष पद की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंची है, कागेरी ने कहा कि यह उनकी राय है, जिसे व्यक्त करने के लिए वह स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा, “मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि किसी सेवारत न्यायाधीश से इसकी जांच करवाई जाए।”
खादर ने भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये ‘‘निराधार’’ और ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ हैं।
मंगलुरु में बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में खादर ने कहा, “पूर्व अध्यक्ष के आरोप निराधार, राजनीति से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण हैं। मैं उन्हें खारिज करता हूं। वे सभी वरिष्ठ जनप्रतिनिधि हैं। उन्हें जो भी संदेह है, वे मुझे लिखित में दे सकते हैं, मैं उस पर गौर करूंगा। जहां तक मेरा सवाल है, विकास मेरे राजनीतिक जीवन का हिस्सा है और विकास मेरा कर्तव्य है।”
उन्होंने कहा, “एक विधायक के रूप में मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए काम कर रहा हूं। पहले मंत्री के रूप में मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं, और उस समय भी आरोप लगे थे। अब अध्यक्ष के रूप में, मैं जनप्रतिनिधियों का संरक्षक हूं। अपनी सीमाओं के भीतर व्यवस्था,विधायिका, में सुधार करना और विधायकों को विभिन्न लाभ प्रदान करना मेरा कर्तव्य है। मैं भविष्य में भी ऐसा करता रहूंगा।”
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