‘विक्टिम कार्ड’ खेल रहे उमर खालिद और शरजील इमाम: दिल्ली पुलिस
जितेंद्र रंजन
- 30 Oct 2025, 09:16 PM
- Updated: 09:16 PM
नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को उच्च्तम न्यायलय में आरोप लगाया कि वर्ष 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों से जुड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में जमानत का अनुरोध कर रहे उमर खालिद, शरजील इमाम व अन्य आरोपी ‘विक्टिम कार्ड’ खेल रहे हैं।
पुलिस ने शीर्ष अदालत को बताया कि आरोपी लंबी कैद के आधार पर रिहाई का अनुरोध कर रहे हैं।
पुलिस ने आरोपियों की जमानत का विरोध किया और उमर खालिद को दंगों का मुख्य साजिशकर्ता व हिंसा के पहले चरण की साजिश रचने में शरजील इमाम को सलाह देने वाला बताया।
पुलिस ने दावा किया कि दंगे अचानक नहीं भड़के बल्कि एक ‘गहरी, सुनियोजित और पूर्व-नियोजित’ साजिश का हिस्सा थे।
दिल्ली पुलिस ने न्यायालय को बताया, “साजिश को अंजाम देने से पहले की अवधि के साक्ष्य, चैट में बातचीत, समन्वित साजिश और आरोपियों के बीच तालमेल, स्पष्ट रूप से विचारों की समानता स्थापित करते हैं।”
पुलिस ने शीर्ष अदालत को बताया कि यह सामग्री न केवल ज्ञान बल्कि इरादे को भी दर्शाती है, जिससे लक्षित और रणनीतिक कार्रवाइयों के माध्यम से देश को बदनाम करने की एक जानबूझकर की गई साजिश का पता चलता है।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया, “यह याचिकाकर्ताओं पर निर्भर नहीं करता कि वे दुर्भावनापूर्ण और शरारती कारणों से मुकदमे की शुरुआत में देरी कर ‘विक्टिम कार्ड’ खेलें और लंबी कैद के आधार पर जमानत का अनुरोध करें।”
पुलिस ने शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा, “आरोपियों का आचरण, उनके खिलाफ उपलब्ध अकाट्य और प्रत्यक्ष साक्ष्यों के अलावा, उन्हें इस न्यायालय से जमानत की कोई राहत मांगने से वंचित करता है।”
दिल्ली पुलिस ने 900 गवाहों के कारण मुकदमा पूरा होने की संभावना न होने की दलील का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कहना न सिर्फ जल्दबाजी होगा बल्कि जमानत पाने के लिए बनाया गया एक ‘भ्रामक बहाना’ भी है।
पुलिस ने दावा किया कि खालिद और इमाम ने जेएनयू के ‘धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने’ को तोड़ा और ‘मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू’ नाम का एक सांप्रदायिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया तथा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थियों को भड़काने व लामबंद करने के लिए उनका इस्तेमाल भी किया।
दिल्ली पुलिस ने बताया, “उन्होंने (दंगों के आरोपियों ने) जामिया व शाहीन बाग में विद्यार्थियों को भड़काना शुरू कर दिया। उन्होंने विरोध के नाम पर चक्का-जाम का मॉडल अपनाया और इसे उचित समय पर हिंसा में बदलने, जीवन के लिए आवश्यक सेवाओं को बाधित करने और प्रांतों को भारत संघ से अलग करने की कोशिश करने की साजिश रची।”
पुलिस ने दावा किया कि चक्का जाम का मकसद सांप्रदायिक दंगे के जरिए बड़े पैमाने पर पुलिस और ‘गैर-मुसलमानों’ को मारना व घायल करना था।
दिल्ली पुलिस ने बताया, “उमर खालिद और अन्य षड्यंत्रकारियों के संरक्षण में इमाम ने 13 से 20 दिसंबर, 2019 तक दिल्ली दंगों के पहले चरण की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।”
पुलिस ने आरोप लगाया, “शरजील इमाम दिल्ली दंगों के पहले चरण की साजिश रचने में अहम भूमिका निभा रहा था और यह बात उसकी चैट से साबित होती है।”
दिल्ली पुलिस ने न्यायालय को बताया कि जनवरी 2020 में खालिद ने सीलमपुर में गुलफिशा फातिमा, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और अन्य लोगों के साथ एक ‘गुप्त बैठक’ की, जहां उसने उन्हें सीलमपुर की स्थानीय महिलाओं को दंगा भड़काने के लिए चाकू, बोतलें, तेजाब, पत्थर, मिर्च पाउडर और अन्य खतरनाक सामान इकट्ठा करने के लिए कथित तौर पर उकसाने का निर्देश दिया।
पुलिस ने बताया कि हलफनामे में फातिमा पर एक प्रमुख समन्वयक के रूप में काम करने का आरोप लगाया गया, जिसने शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शनों को हिंसक प्रदर्शनों में बदलने में मदद की।
दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत को बताया कि जामिया समन्वय समिति के सदस्य मीरान हैदर पर कई दिन तक चलने वाले विरोध प्रदर्शन स्थलों की देखरेख करने, धन इकट्ठा करने और प्रदर्शनकारियों को पुलिस व गैर-मुसलमानों पर हमला करने के लिए उकसाने का आरोप है।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ खालिद, इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
खालिद, इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर पर 2020 में हुए दंगों के कथित तौर पर ‘मास्टरमाइंड’ होने के लिए यूएपीए और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
भाषा जितेंद्र