तृणमूल ने व्यक्ति की 'आत्महत्या' मामले में निकाली रैली, एसआईआर को ठहराया जिम्मेदार
आशीष माधव
- 30 Oct 2025, 05:51 PM
- Updated: 05:51 PM
कोलकाता, 30 अक्टूबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के पानीहाटी में 57 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत के मामले में बृहस्पतिवार को विरोध रैली निकाली। व्यक्ति ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर कथित तौर पर 'चिंता' के कारण आत्महत्या कर ली।
मृतक की पहचान प्रदीप कर के रूप में हुई है। वह मंगलवार को अपने कमरे में फंदे से लटका हुआ पाया गया। एक दिन पहले ही निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया की घोषणा की थी। स्थानीय पुलिस के सूत्रों ने बताया कि उसके शव के पास से एक हस्तलिखित नोट मिला है, जिसमें उसने दस्तावेज़ों की कमी के कारण मतदाता सूची से बाहर किए जाने के डर का ज़िक्र किया था।
विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक और स्थानीय विधायक निर्मल घोष के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं और निवासियों ने कोलकाता से लगभग 18 किलोमीटर दूर पानीहाटी की सड़कों पर मार्च किया। उनके हाथों में 'प्रदीप कर के लिए न्याय' लिखी तख्तियां और कर की तस्वीरें थीं।
घोष ने रैली के दौरान आरोप लगाया, "एनआरसी और एसआईआर को लेकर चिंता के कारण प्रदीप कर की मौत हुई। भाजपा और निर्वाचन आयोग द्वारा फैलाए गए भय और भ्रम के माहौल से इस बेकसूर व्यक्ति की जान गई।"
उन्होंने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। वे आतंक के इस माहौल के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे अपने सारे दस्तावेज़ दिखाएं, जैसा कि वे आम लोगों से मांगते हैं।"
तृणमूल के कई नेताओं ने कहा कि कर के ‘सुसाइड नोट’ से नागरिकता साबित करने की उनकी परेशानी और मतदाता सूची से बाहर होने के डर का पता चलता है।
तृणमूल के एक नेता ने कहा, "नोट में साफ़ तौर पर उनके इस डर का ज़िक्र है कि अगर उनके दस्तावेज़ अधूरे पाए गए तो वे अपने अधिकार खो सकते हैं। यह इस पूरी प्रक्रिया से पैदा हुई गहरी असुरक्षा को दर्शाता है।"
पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस घटना से इलाके में बेचैनी फैल गई है, जहां कई निवासियों को डर है कि एसआईआर प्रक्रिया "पिछले दरवाजे से एनआरसी" हो सकती है जिसका उद्देश्य कमज़ोर समुदायों को निशाना बनाना है।
भाजपा और निर्वाचन आयोग ने अभी तक टीएमसी के आरोपों का जवाब नहीं दिया है।
प्रदीप कर की मौत एसआईआर प्रक्रिया को लेकर बढ़े राजनीतिक घमासान के बीच हुई है, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले “पात्र मतदाताओं के नाम हटाने” के लिए संशोधन प्रक्रिया का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
भाषा आशीष