आईआईटी दिल्ली के अध्ययन से जीपीएस का अनदेखा पहलू उजागर
नेत्रपाल मनीषा
- 30 Oct 2025, 05:43 PM
- Updated: 05:43 PM
नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) जीपीएस हमें जगहों का रास्ता दिखाता है या हमारे ऑनलाइन ऑर्डर ‘ट्रैक’ करने में मदद करता है। लेकिन आईआईटी-दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, एंड्रॉइड स्मार्टफोन पर इसके द्वारा एकत्रित ‘‘सूक्ष्म’’ डेटा केवल स्थान से कहीं अधिक जानकारी दे सकता है, बल्कि किसी व्यक्ति की गतिविधि, वातावरण या यहाँ तक कि जिस कमरे में वे हैं, उसकी स्थिति को भी गुप्त रूप से उजागर कर सकता है।
‘एंड्रॉकोन: एन एंड्रॉइड फोन-बेस्ड सेंसर फॉर एम्बिएंट, ह्यूमन एक्टिविटी एंड लेआउट सेंसिंग यूजिंग फाइन-ग्रेन्ड जीपीएस इन्फॉर्मेशन’ नामक अध्ययन की रिपोर्ट ‘एसीएम ट्रांजेक्शन ऑन सेंसर नेटवर्क्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है।
अनुसंधानकर्ताओं ने एंड्रोकॉन का प्रस्ताव रखा, जो यह प्रदर्शित करने वाली पहली प्रणाली है कि सटीक स्थान अनुमतियों के साथ एंड्रॉइड ऐप्स के लिए पहले से ही सुलभ ‘‘सूक्ष्म’’ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) डेटा एक गुप्त सेंसर के रूप में कार्य कर सकता है।
कैमरा, माइक्रोफोन या गति संवेदकों का उपयोग किए बिना, एन्ड्रोकॉन नौ निम्न-स्तरीय जीपीएस मापदंडों - जैसे डॉपलर शिफ्ट, सिग्नल पावर और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस - की व्याख्या करके यह अनुमान लगाता है कि कोई व्यक्ति बैठा है, खड़ा है, लेटा है, मेट्रो के अंदर है, उड़ान में है, पार्क में है, या भीड़भाड़ वाले बाहरी स्थान पर है।
वे यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि कमरा भीड़भाड़ वाला है या खाली।
आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर स्मृति आर सारंगी ने कहा, ‘‘40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में और विभिन्न फोन पर एक वर्ष तक किए गए अध्ययन में, एंड्रोकॉन ने आसपास के वातावरण का पता लगाने में 99 प्रतिशत तक सटीकता हासिल की और मानवीय गतिविधियों को पहचानने में 87 प्रतिशत से अधिक सटीकता हासिल की, यहां तक कि फोन के पास हाथ हिलाने जैसी सूक्ष्म गतिविधियों को भी।’’
सारंगी ने कहा, ‘‘यह अध्ययन जीपीएस के एक अनदेखे पहलू को उजागर करता है। एक शक्तिशाली लेकिन खामोश चैनल जो हमारे आस-पास की दुनिया को भांप सकता है। एंड्रोकॉन रोज़मर्रा के स्मार्टफ़ोन को एक अप्रत्याशित रूप से सटीक वैज्ञानिक उपकरण में बदल देता है और यह याद दिलाता है कि सबसे परिचित तकनीकों में भी ऐसे रहस्य छिपे होते हैं जिनका दुर्भावना रखने वाली संस्थाओं द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है।’’
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