सिंगापुर और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ ऊर्जा परिवर्तन साझेदारी की संभावनाएं तलाश रहा है भारत: अधिकारी
जोहेब
- 29 Oct 2025, 11:51 AM
- Updated: 11:51 AM
(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 29 अक्टूबर (भाषा) भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए क्षेत्रीय ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के अवसरों की तलाश कर रहा है, जिसकी शुरुआत सिंगापुर से हो रही है। एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने यहां यह बात कही।
उन्होंने कहा कि सिंगापुर में कई वैकल्पिक ऊर्जा परियोजनाएं पहले से ही प्रगति पर हैं।
विद्युत मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद ने कहा कि क्षेत्रीय नवीकरणीय संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए आपसी संपर्क की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, और यदि दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के ग्रिड आपस में जुड़े हों, तो एक बड़ा अवसर मिल सकता है।
प्रसाद ने सिंगापुर में एक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “एक विकल्प भारत और सिंगापुर के बीच सीधा संपर्क स्थापित करना है। यह ‘वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड’ सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसकी उत्पत्ति भारत से हुई थी। सिंगापुर के माध्यम से सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को लाभ होगा।”
प्रसाद ने कहा कि भारत सौर, पवन, जल और पंप भंडारण परियोजनाओं से उत्पन्न नवीकरणीय ऊर्जा को सिंगापुर और दूसरे देशों में निर्यात कर सकता है।
उन्होंने कहा, “शुरुआत में लगभग 2,000 मेगावाट का निर्यात किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा, “हरित ऊर्जा के निर्यात से सिंगापुर और संभवतः सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ऊर्जा आवश्यकताओं के विविधीकरण और हरित ऊर्जा के इस्तेमाल में तेजी लाने में मदद मिलेगी।”
प्रसाद सिंगापुर इंटरनेशनल एनर्जी वीक (एसआईईडब्ल्यू) 2025 में भाग ले रहे हैं, जो 27 अक्टूबर को शुरू हुआ था और एक सप्ताह तक जारी रहेगा।
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की सफलता का उल्लेख करते हुए प्रसाद ने कहा कि देश ने इस वर्ष अब तक 30,000 मेगावाट से अधिक की क्षमता स्थापित की है और वर्ष के अंत तक इसके 40,000 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।
प्रसाद ने कहा, “भारत हरित ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी देशों में से एक है, और सिंगापुर तथा अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने स्वीकार किया है कि भारतीय स्रोतों से बिजली प्राप्त करने से भविष्य में बिजली उत्पादन के लिए गैस ईंधन की जरूरतों में उल्लेखनीय कमी आएगी।”
भाषा जोहेब