अग्नि बीमा दावे के निपटान में जालसाजी के लिए दो लोगों को पांच साल की कठोर कारावास की सजा
प्रीति सुरेश
- 23 Sep 2025, 10:26 PM
- Updated: 10:26 PM
अहमदाबाद, 23 सितंबर (भाषा) गुजरात के अहमदाबाद स्थित केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने 2006 के अग्नि बीमा दावे के निपटान से संबंधित मामले में आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए दो व्यक्तियों को मंगलवार को दोषी ठहराया और उन्हें पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
सीबीआई मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने निजी क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों- राशिक जे. पटेल और संजय चित्रे- को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत ने पटेल पर 45 लाख रुपये और चित्रे पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पटेल एक निजी कंपनी ‘मेसर्स मीरा केमिकल्स’ में साझेदार है, जबकि चित्रे एक अन्य कंपनी ‘मेसर्स एस आर चित्रे एंड कंपनी’ का मालिक है और सर्वेक्षक के रूप में काम करता है।
सीबीआई के बयान के अनुसार, यह मामला छह जून, 2006 को कुल सात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था, जिनमें दो अब दोषी ठहराए जा चुके हैं। बाकी पांच आरोपी ‘यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ (यूआईआईसीएल) में कार्यरत थे, जिनमें से चार को बरी कर दिया गया, जबकि एक की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
इसमें कहा गया कि गांधीनगर में इस आरोप के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया था कि यूआईआईसीएल के लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों ने एक-दूसरे के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचा और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए अग्नि बीमा दावे के निपटान में 36,86,451 रुपये का आर्थिक लाभ उठाया।
जांच में सामने आया कि पटेल द्वारा संचालित साझेदारी कंपनी मेसर्स मीरा केमिकल्स की फैक्ट्री में 20 जनवरी, 2002 को भरूच जिले के जीआईडीसी पानोली क्षेत्र में आग लग गई थी, जिससे भवन, उपकरण, स्टॉक और रसायनों को भारी नुकसान पहुंचा था।
फर्म ने घटना की सूचना यूआईआईसीएल को दी और मेसर्स एस.आर. चित्रे एंड कंपनी को सर्वेक्षक नियुक्त किया गया और उन्होंने नुकसान का आकलन 36,92,137 रुपये किया।
भाषा प्रीति