शिवगिरि में 1995 में की गई पुलिस कार्रवाई को मठ प्रमुख ने उचित ठहराया
रंजन नेत्रपाल
- 18 Sep 2025, 02:29 PM
- Updated: 02:29 PM
तिरुवनंतपुरम, 18 सितंबर (भाषा) शिवगिरि मठ के प्रमुख स्वामी सच्चिदानंद ने 1995 में ट्रस्ट के चुनाव में जीत हासिल करने वाले स्वामी प्रकाशानंद को प्रभावी ढंग से सत्ता हस्तांतरित कराने के लिए मठ पर की गई पुलिस कार्रवाई का बृहस्पतिवार को बचाव किया।
सच्चिदानंद ने एक समाचार चैलन से बातचीत में कहा, ‘‘मठ में जो कुछ हुआ, वह श्री नारायण गुरु के आदर्शों में विश्वास रखने वालों के लिए बेहद दुखद था। मठ से असंबद्ध कई लोग सत्ता हस्तांतरण को रोकने के लिए इकट्ठा हुए थे और पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा था।’’
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई उच्च न्यायालय के उस सख्त निर्देश के बाद की गई थी जिसमें कहा गया था कि सत्ता हस्तांतरण के लिए हरसंभव कदम उठाए जाने चाहिए और तत्कालीन सरकार ने वास्तव में इस कार्रवाई में शिवगिरि मठ की मदद की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मठ में मुद्दों को जटिल बनाने वाले लोग ही इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार थे। वे ही दोषी हैं, सरकार नहीं।’’
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ए के एंटनी ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान 1995 में शिवगिरि मठ और 2003 में मुथंगा में हुई पुलिस कार्रवाई के कारणों की बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में व्याख्या की और इसे ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया।
एंटनी का यह स्पष्टीकरण मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा मंगलवार को राज्य विधानसभा में पुलिस बर्बरता पर चर्चा के दौरान पिछली यूडीएफ सरकारों के दौरान पुलिस ज्यादती का ज़िक्र किए जाने के बाद आया।
इस बीच, आदिवासी नेता सी के जानू ने कहा कि वन क्षेत्र पर अतिक्रमण कर जमीन की मांग करने वाले आदिवासियों के खिलाफ पुलिस की बर्बर कार्रवाई को कभी माफ़ नहीं किया जा सकता।
जानू ने कहा, ‘‘पुलिस ने बर्बरतापूर्वक आदिवासियों पर हमला किया और बच्चों तक को नहीं छोकड़ा। इतने साल बीत जाने के बावजूद इसे भुलाया नहीं जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि एंटनी ने अपनी ‘‘गलती’’ को इतने साल बाद किया।
जानू ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने आदिवासियों द्वारा उठाए गए मुद्दे में उचित हस्तक्षेप नहीं किया और पुलिस कार्रवाई के अलावा भी आंदोलन को शांत करने के कई विकल्प मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि सिर्फ़ सरकार ही नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दल उस दौरान आदिवासियों के प्रदर्शन के ख़िलाफ़ हो गए थे।
भाषा रंजन