रक्षा मंत्रालय ने राजस्व खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाने के लिए नया प्रारूप जारी किया
देवेंद्र राजकुमार
- 15 Sep 2025, 12:02 AM
- Updated: 12:02 AM
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) भारत ने रविवार को सशस्त्र बलों के लिए राजस्व खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित, सरल और युक्तिसंगत बनाने के लिए एक नया प्रारूप जारी किया ताकि बिना किसी देरी के आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने पर समग्र ध्यान दिया जा सके।
रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम) 2025 में रक्षा मंत्रालय में चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की सभी राजस्व खरीद के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत और प्रावधान निर्धारित किए गए हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘इससे तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा और शीघ्र निर्णय लेने के माध्यम से सैन्य तैयारियों के उच्चतम स्तर को बनाए रखने में मदद मिलेगी।’’
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीपीएम "सशस्त्र बलों को अपेक्षित संसाधनों की समय पर और उचित लागत पर उपलब्धता सुनिश्चित करेगा"।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा अनुमोदित किये जाने के बाद नया ढांचा जारी किया गया।
बयान में कहा गया है कि रक्षा मंत्री सिंह ने डीपीएम को मंजूरी दी जो ‘‘रक्षा मंत्रालय में राजस्व खरीद प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित, सरल, सक्षम और युक्तिसंगत बनाएगा और आधुनिक युद्ध के युग में सशस्त्र बलों की उभरती आवश्यकताओं को पूरा करेगा।’’
इसमें कहा गया है कि नयी नियमावली का उद्देश्य राजस्व मद (संचालन और भरण-पोषण खंड) के अंतर्गत सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
मंत्रालय ने कहा कि इस दस्तावेज में व्यापार में सुगमता को और मजबूत किया गया है, जिसका उद्देश्य रक्षा विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘इसका उद्देश्य निजी कंपनियों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप आदि के साथ-साथ रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करके रक्षा क्षेत्र में घरेलू बाजार की क्षमता, विशेषज्ञता और योग्यता का उपयोग करना है।’’
रक्षा सेवाओं और रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत अन्य संगठनों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद डीपीएम द्वारा विनियमित की जाती है। इसे 2009 में आखिरी बार लागू किया गया था। यह नियमावली सशस्त्र बलों और अन्य हितधारकों के परामर्श से मंत्रालय में संशोधन के अधीन थी।
इसने कहा, ‘‘ इस नियमावली को सार्वजनिक खरीद के क्षेत्र में नवीनतम विकास के साथ संरेखित करने की अत्यधिक आवश्यकता रही है ताकि खरीद में प्रौद्योगिकी का उपयोग बहुत निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ सुनिश्चित हो सके।’’
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