ठाकरे बंधुओं के बीच बातचीत जारी: मनसे नेता नंदगांवकर
पारुल अविनाश
- 11 Sep 2025, 06:38 PM
- Updated: 06:38 PM
मुंबई, 11 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता बाला नंदगांवकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच बातचीत जारी है, लेकिन उनकी पार्टी इसका हिस्सा नहीं है।
नंदगांवकर ने ठाकरे बंधुओं के बीच हालिया मुलाकातों के बारे में पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा, “दोनों नेता निश्चित रूप से बातचीत कर रहे हैं।” हालांकि, उन्होंने उद्धव और राज के बीच हुई मुलाकातों के बारे में विस्तार से नहीं बताया।
पिछले कुछ महीनों में उद्धव और राज कई बार मिल चुके हैं, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि दोनों चचेरे भाई आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले एक साथ आ सकते हैं, जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव भी शामिल हैं।
उद्धव बुधवार को मुंबई के दादर इलाके में राज के घर ‘शिवतीर्थ’ पहुंचे, जहां दोनों नेताओं के बीच लगभग ढाई घंटे तक बातचीत हुई। पिछले दो हफ्तों में यह उनकी दूसरी ज्ञात मुलाकात थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या मनसे महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) और कांग्रेस जैसे उसके घटक दलों के साथ गठबंधन करेगी, नंदगांवकर ने कहा कि ऐसे मुद्दों पर पार्टी आलाकमान फैसला करता है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) एमवीए के अन्य घटक हैं।
नंदगांवकर ने कहा, “मेरे लिए इस बारे में टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। यह समझना जरूरी है कि दो अलग-अलग राजनीतिक दल होने के कारण विचारों और नीतियों में अंतर होगा। राज ठाकरे इन चीजों पर विचार करेंगे और उचित फैसला लेंगे।”
उन्होंने कहा कि राज ठाकरे ने नगर निकाय चुनावों से पहले कुछ मनसे नेताओं को उनके विचार जानने के लिए आमंत्रित किया है।
इस बीच, शिवसेना (उबाठा) सांसद संजय राउत ने उद्धव और राज के बीच बुधवार की मुलाकात को निजी और गैर-राजनीतिक बताया। उन्होंने बृहस्पतिवार सुबह कहा, “वे चचेरे भाई हैं, इसलिए एक-दूसरे से मिल सकते हैं। मैं वहां इसलिए था, क्योंकि मैं राज ठाकरे का दोस्त हूं। मीडिया में चल रही सभी खबरें झूठी हैं।”
उद्धव और राज के बीच मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र भाजपा के मीडिया प्रमुख नवनाथ बान ने कहा, “उद्धव-राज की मुलाकात शायद राम और भरत की मुलाकात जैसी थी, जहां राम ने भरत को शक्तियां सौंपी थीं, जिन्होंने राम के प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या पर शासन किया था। या फिर यह महाभारत के कौरवों और पांडवों की मुलाकात जैसी थी, जहां पांडव सत्ता में अपना उचित हिस्सा वापस पाने के लिए उत्सुक थे? संजय राउत को इसका जवाब देना चाहिए।”
मराठी भाषी बहुल राज्य में हिंदी थोपने के आरोपों के बीच कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए त्रिभाषा फॉर्मूले पर दिए गए विवादास्पद आदेश को महाराष्ट्र सरकार द्वारा वापस लेने का जश्न मनाने के लिए ठाकरे बंधुओं ने पांच जुलाई को मुंबई में मंच साझा किया था।
जुलाई के अंत में राज ने उद्धव को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए उपनगरीय बांद्रा स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ का दौरा किया था। दोनों भाइयों में कई और मुलाकातें भी हुईं।
राज ने 2005 में अवभिभाजित शिवसेना छोड़ दी थी। उन्होंने अपने इस कदम के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शिवसेना (उबाठा) और मनसे के खराब प्रदर्शन के बाद दोनों भाई राज्य में अपनी राजनीतिक उपस्थिति बढ़ाने के लिए आपसी रिश्ते सुधारने की कवायद में जुट गए हैं।
भाषा पारुल