प्रयागराज: अतिक्रमण करने वाले याचिकाकर्ता का कब्जा खाली कराने का निर्देश
राजेंद्र सुरभि
- 10 Sep 2025, 10:19 PM
- Updated: 10:19 PM
प्रयागराज, 10 सितंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज के राजस्व अधिकारियों को जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ कब्जा खाली कराने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने खुद ही अतिक्रमण कर तालाब की जमीन पर मकान बनवाया था।
दिलचस्प है कि याचिकाकर्ता ने उस तालाब की जमीन पर एक दूसरे व्यक्ति का अतिक्रमण हटाने का अनुरोध करते हुए जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन अधिकारियों की रिपोर्ट में वह स्वयं ग्राम सभा की जमीन पर अतिक्रण कर काबिज पाया गया।
प्रयागराज के हंडिया के निवासी याचिकाकर्ता ओमराज ने जनहित याचिका में शिकायत की थी कि लालमणि पटेल नाम के व्यक्ति ने तालाब की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है। अदालत के आदेश पर हुई जांच में पाया गया कि याचिकाकर्ता का स्वयं का मकान अतिक्रमण की गई जमीन पर बना हुआ है।
इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने उस लेखपाल और राजस्व निरीक्षक के खिलाफ की गई कार्रवाई कि रिपोर्ट भी मांगी जिन्होंने लालमणि के खिलाफ अतिक्रमण की झूठी रिपोर्ट दी थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान, लालमणि पटेल के वकील ने अदालत को बताया कि तहसीलदार और एसडीएम का कब्जा खाली कराने का आदेश गलत था जिस पर न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने पुनः जांच का आदेश दिया। 21 अगस्त, 2025 को हंडिया के तहसीलदार ने उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया।
हलफनामा में बताया गया कि जब जमीन को फिर से मापा गया तो पाया गया कि तालाब की जमीन लालमणि पटेल की नहीं है, लेकिन उस पर बना मकान याचिकाकर्ता ओमराज का है।
इन अधिकारियों के रवैये पर नाखुशी जाहिर करते हुए अदालत ने कहा कि जब लालमणि ने किसी तरह का अतिक्रमण किया ही नहीं तो उसके खिलाफ कब्जा खाली कराने का आदेश कैसे पारित किया गया।
अदालत ने हलफनामा में लेखपाल दिलीप कुमार और राजस्व निरीक्षक गया प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी हलफनामा में मांगी जिन्होंने अतिक्रमण की गलत रिपोर्ट दी थी।
अदालत ने चार सितंबर के अपने आदेश में याचिकाकर्ता का अतिक्रमण हटाने के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।
भाषा राजेंद्र