विश्व चैंपियनशिप में अपनी उपलब्धियों के सफर को बयां करती इतिहास रचने वाली वुशु खिलाड़ी
नमिता सुधीर
- 10 Sep 2025, 06:52 PM
- Updated: 06:52 PM
नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) अपर्णा दहिया ने कुश्ती की बजाय वुशु खेलना शुरू किया जबकि करीना कौशिक को स्कूल में आत्मरक्षा की कक्षाओं के दौरान इस खेल से परिचित कराया गया था लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वे एक दिन विश्व चैंपियनशिप में भारत के लिए इतिहास रच देंगी।
भारत ने 31 अगस्त से सात सितंबर तक ब्राजील में हुई विश्व वुशु चैंपियनशिप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और सांडा स्पर्धाओं में चार पदक (तीन रजत और एक कांस्य) जीते।
यह पहली बार था जब तीन भारतीय महिलाएं इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचीं।
अपने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण पर 60 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतने वाली 21 वर्षीय करीना कौशिक ने बुधवार को खेल मंत्रालय के सम्मान समारोह से इतर पीटीआई वीडियो को बताया, ‘‘मैं स्कूल में थी जब पीटी पीरियड के दौरान आत्मरक्षा कक्षाओं के दौरान हमें इस खेल के बारे में पता चला। मैं इसके बारे में और जानने के लिए बहुत उत्सुक थी इसलिए मैंने अपने माता-पिता को बताया। वे तुरंत मान गए और फिर मैंने अपना सफर शुरू किया। ’’
सोनीपत की उनकी साथी अपर्णा दहिया ने बताया कि उन्होंने वुशु को ही क्यों चुना। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कुश्ती पसंद नहीं थी क्योंकि इसमें मुक्के और किक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसलिए मैंने वुशु को चुना क्योंकि इसमें इन दोनों के इस्तेमाल करने की आजादी होती है। ’’
52 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतने वाली 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं वुशु सीखने के लिए क्लास और स्कूल से भाग जाती थी और बाद में औपचारिक रूप से ट्रेनिंग लेना शुरू किया। ’’
अपर्णा ने इससे पहले चीन में एशिया कप में स्वर्ण और मकाऊ में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था।
सोनीपत के नाहरी गांव के 22 वर्षीय सागर दहिया के लिए यह यात्रा उनके माता-पिता की ओर से एक तरह की सजा के रूप में शुरू हुई।
56 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतने वाले सागर ने कहा, ‘‘मैं स्कूल के दिनों में खूब लड़ता था, जैसे सभी लड़के लड़ते हैं। मुझे अपनी ताकत दिखाना भी पसंद था। मेरे माता-पिता मुझे सड़कों पर इस तरह लड़ते देखकर खुश नहीं थे। इसलिए उन्होंने मुझे वुशु में दाखिला दिला दिया। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले ही दिन, मेरे कोच मेरे मुक्कों और किक की ताकत से प्रभावित हुए, बस और आज का दिन है, मैं विश्व चैंपियनशिप में पदक के साथ यहां हूं। ’’
ग्रेटर नोएडा के दादरी गांव की शिवानी प्रजापति ने 75 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता। इस 22 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘विश्व चैंपियनशिप मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था और मैंने रजत पदक जीता। मैं यहां से आगे भी सुधार करना चाहती हूं। ’’
भाषा नमिता