पाकिस्तान निगरानी प्रणालियों के जरिये लाखों नागरिकों की जासूसी कर रहा: एमनेस्टी रिपोर्ट
सुभाष माधव
- 09 Sep 2025, 09:02 PM
- Updated: 09:02 PM
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, नौ सितंबर (भाषा) मानवाधिकार निगरानी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी निजी विदेशी कंपनियों से प्राप्त निगरानी उपकरणों के जरिये पत्रकारों और प्रमुख राजनीतिक नेताओं सहित लाखों नागरिकों की जासूसी कर रहे हैं।
'नियंत्रण की छाया: पाकिस्तान में सेंसरशिप एवं जन निगरानी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान का बढ़ता निगरानी नेटवर्क चीन और पश्चिमी देशों की प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तानी अधिकारी देश के नागरिकों, जिनमें आम लोग, पत्रकार और प्रमुख राजनीतिक नेता भी शामिल हैं, पर गैरकानूनी तरीके से निगरानी रख रहे हैं।’’
एक साल तक चली यह जांच पेपर ट्रेल मीडिया (म्यूनिख स्थित खोजी स्टार्टअप), डीईआर स्टैंडर्ड (ऑस्ट्रियाई समाचार पत्र), फॉलो द मनी (खोजी समाचार संस्थान), द ग्लोब एंड मेल (कनाडाई अखबार), जस्टिस फॉर म्यांमार (कार्यकर्ताओं का गुप्त समूह), इंटरसेकलैब (डिजिटल सुरक्षा लैब) और टोर प्रोजेक्ट (शोध-शिक्षा संगठन) के सहयोग से की गई।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान में गैरकानूनी व्यापक निगरानी और सेंसरशिप का विस्तार जर्मनी, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, कनाडा और अमेरिका में स्थित कंपनियों के गठजोड़ से संचालित हो रहा है।
मानवाधिकार निगरानी संस्था ने अपने निष्कर्षों में कहा कि, ‘‘सशस्त्र बल और (पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी) इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) देश के दूरसंचार प्रदाताओं के माध्यम से आबादी की डिजिटल गतिविधि की निगरानी के लिए लॉफुल इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम (एलआईएमएस) का उपयोग करती हैं।’’
इसमें कहा गया है कि जांच से यह सामने आया है कि कैसे पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्नत निगरानी और सेंसरशिप उपकरणों, विशेष रूप से नए फ़ायरवॉल (वेब मॉनिटरिंग सिस्टम-डब्ल्यूएमएस 2.0) और ‘लॉफुल इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम’ (एलआईएमएस) की एक गुप्त वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से विदेशी कंपनियों से तकनीक प्राप्त की है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, ‘‘पाकिस्तान का वेब मॉनिटरिंग सिस्टम और लॉफुल इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम ‘वॉचटावर’ की तरह काम करते हैं और आम नागरिकों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखते हैं।’’
कैलामार्ड ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में आपके मोबाइल फोन संदेश, ईमेल, कॉल और इंटरनेट एक्सेस, सभी निगरानी के दायरे में हैं। लेकिन लोगों को इस निरंतर निगरानी और इसकी अविश्वसनीय पहुंच का अंदाज़ा नहीं है। यह भयावह वास्तविकता बेहद खतरनाक है क्योंकि यह परदे के पीछे काम करती है और अभिव्यक्ति की आज़ादी और सूचना तक पहुंच को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करती है।’’
एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि गीड्ज नेटवर्क्स द्वारा प्रदान की गई प्रौद्योगिकी चीन के ‘‘ग्रेट फायरवॉल’’ का एक व्यावसायिक संस्करण है, जो एक व्यापक सरकारी सेंसरशिप उपकरण है जिसे चीन में विकसित और तैनात किया गया है और अब अन्य देशों को भी निर्यात किया जा रहा है।
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