सरकार विरोधी प्रदर्शनों को लेकर प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया
सुभाष संतोष
- 09 Sep 2025, 10:38 PM
- Updated: 10:38 PM
(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, नौ सितंबर (भाषा) नेपाल में दूसरे दिन मंगलवार को भी सरकार विरोधी जबर्दस्त प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों के सरकारी इमारतों पर धावा बोलने और संसद भवन सहित कई शीर्ष नेताओं के घरों को आग के हवाले किये जाने के बीच, प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है।
छात्रों के नेतृत्व में ‘जेन जी’ विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ था। यह एक बड़े अभियान में बदल गया, जिसमें कथित भ्रष्टाचार और आम लोगों के प्रति उदासीनता को लेकर ओली सरकार और देश के राजनीतिक अभिजात वर्ग की बढ़ती सार्वजनिक आलोचना प्रदर्शित हुई।
ओली के इस्तीफे के बाद भी, कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शनकारियों द्वारा आगजनी और हिंसा जारी रखे जाने के बीच, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शांति और राष्ट्रीय एकता की अपील की।
पौडेल ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं प्रदर्शनकारी नागरिकों सहित सभी से देश की कठिन परिस्थितियों के शांतिपूर्ण समाधान में सहयोग करने का आग्रह करता हूं।’’
शाम को नेपाली सेना ने संकट को सुलझाने के लिए शांति और बातचीत का आह्वान किया।
हालांकि, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार देर रात हटा लिया गया था, लेकिन मंगलवार को विरोध प्रदर्शनों ने जोर पकड़ लिया तथा आंदोलन का केंद्र सोमवार को पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत पर जनाक्रोश और राजनीतिक अभिजात वर्ग के कथित भ्रष्टाचार एवं विलासितापूर्ण जीवनशैली के बड़े मुद्दों पर केंद्रित हो गया।
दल्लू में एक भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर में आग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घर के अंदर फंसी उनकी पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार गंभीर रूप से झुलस गईं। बताया जाता है कि अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में 19 लोगों की मौत होने के एक दिन बाद, कई शीर्ष नेताओं के घरों, राजनीतिक दलों के मुख्यालयों पर हमला किया गया और यहां तक कि संसद भवन में भी तोड़फोड़ की गई।
छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन में, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार के प्रति अकर्मण्यता सहित कई मुद्दों को लेकर ओली सरकार के खिलाफ आम लोगों का बढ़ता आक्रोश झलक रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती का उल्लंघन करते हुए आगजनी की तथा विभिन्न प्रमुख इमारतों और प्रतिष्ठानों पर धावा बोला।
ओली के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, प्रदर्शनकारियों ने बालकोट में उनके निजी आवास में आग लगा दी तथा राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आवासीय परिसरों पर हमला किया।
सोशल मीडिया मंचों पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार को जोर पकड़ लिया तथा प्रदर्शनकारियों ने देश के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों में सरकार विरोधी मार्च निकाले।
विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान सेवाएं आंशिक रूप से निलंबित कर दी गई हैं।
हालात तेजी से बिगड़ने पर, नेपाली सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने एक संयुक्त अपील जारी कर संयम बरतने और बातचीत के जरिए संकट का समाधान निकालने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री (ओली) का इस्तीफा पहले ही स्वीकार कर लिया गया है, इसलिए हम सभी से संयम बरतने और इस कठिन परिस्थिति में जान-माल को और नुकसान न होने देने की अपील करते हैं।’’
उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान ही व्यवस्था और स्थिरता बहाल करने का एकमात्र तरीका है।’’
बयान पर नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल, मुख्य सचिव नारायण आर्यल, गृह सचिव गोकर्ण दावडी, सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के प्रमुख राजू आर्यल, पुलिस महानिरीक्षक चंद्र कुबेर खापुंग और राष्ट्रीय जांच विभाग के प्रमुख हुतराज थापा ने हस्ताक्षर किये हैं।
इस बीच, नेपाली सेना ने प्रदर्शनकारियों से शांत रहने और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने का आग्रह किया तथा देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का संकल्प लिया।
सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘हम ‘जेन ज़ी’ के आंदोलन के नवीनतम घटनाक्रम का विश्लेषण कर रहे हैं।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘नेपाली सेना हमेशा नेपाल के लोगों के हितों और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और नवीनतम घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, हम लोगों के जान-माल की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।’’
बयान के अनुसार, ‘‘सभी युवाओं और पूरे देशवासियों से अनुरोध है कि वे शांत रहें और सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता बनाए रखें, ताकि हालात और न बिगड़े। इस गंभीर स्थिति में देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक और राष्ट्रीय संपत्तियों का संरक्षण और सुरक्षा करना सभी नेपालियों का कर्तव्य है।’’
ओली ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के उनके कार्यालय में घुसने और नारेबाजी करने के कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत होने और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के बावजूद ‘‘हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने’’ को लेकर ओली के इस्तीफे की मांग की थी।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को लिखे अपने त्यागपत्र में ओली ने नेपाल के समक्ष मौजूद ‘‘असाधारण परिस्थितियों’’ का हवाला दिया और कहा कि वह मौजूदा स्थिति के ‘‘संवैधानिक और राजनीतिक’’ समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के लिए पद छोड़ रहे हैं।
चीन के प्रति झुकाव रखने वाले ओली जुलाई 2024 में नेपाली कांग्रेस पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। इस महीने उनका भारत का दौरा करने का कार्यक्रम था।
हालांकि, नेपाल सरकार ने 'जेन ज़ी' युवाओं के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सोमवार रात सोशल मीडिया वेबसाइटों पर से प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, और 19 लोगों की मौत की जवाबदेही तय करने की मांग को लेकर अपना प्रदर्शन जारी रखा है।
‘जेन ज़ी’ वे युवा हैं जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ। ‘जेन ज़ी’ के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने राजधानी के कई हिस्सों में ‘‘केपी चोर, देश छोड़ो’’ और ‘‘भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करो’’ जैसे नारे लगाए।
अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के नायकाप स्थित पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के आवास को भी आग लगा दी। यह घटना उनके पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद हुई।
काठमांडू के कलंकी, कालीमाटी, तहाचल और काठमांडू में बनेश्वर के साथ-साथ ललितपुर जिले के च्यासल, चापागौ और थेचो इलाकों से भी प्रदर्शनों की खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक रूप से एकत्र होने पर लगे प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए ‘‘छात्रों को मत मारो’’ जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर छात्र हैं।
कलंकी में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरूद्ध करने के लिए टायर जलाए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शनकारी युवकों ने ललितपुर जिले के सुनाकोठी में संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवास पर भी पथराव किया। गुरुंग ने ही सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
प्रदर्शनकारियों ने बूढ़ा नीलकंठ स्थित पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आवास में भी तोड़फोड़ की।
‘जेन ज़ी’ समूह, जो पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रहा है, ने ‘रेडिट’ और ‘इंस्टाग्राम’ जैसे सोशल मीडिया मंच का इस्तेमाल करके ‘‘मंत्रियों और अन्य प्रभावशाली हस्तियों के बच्चों की विलासितापूर्ण जीवनशैली’’ का पर्दाफाश किया है।
उन्होंने वीडियो और तस्वीरें पोस्ट करके धन के उन स्रोतों पर सवाल उठाए हैं जिनसे ऐसी समृद्धि आती है, जो कथित तौर पर भ्रष्ट तरीकों से प्राप्त होती है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है।
नेपाल सरकार ने फेसबुक और 'एक्स' समेत 26 सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, क्योंकि उन्होंने पंजीकरण नहीं कराया था।
हालांकि, सोमवार देर रात सरकार ने जनता के आक्रोश को कम करने के लिए सोशल मीडिया साइटों पर लगाए प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की थी।
‘जेन ज़ी’ कार्यकर्ताओं के अनुसार, प्रदर्शनकारियों की अन्य मांगों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी तथा राजनीतिक पद पर आसीन लोगों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित करना शामिल है।
भाषा सुभाष