इंदौर के अस्पताल में भर्ती नवजात बच्ची के हाथ की चारों अंगुलियां कुतर गए थे चूहे : जनजातीय संगठन
हर्ष सुरभि
- 08 Sep 2025, 11:45 PM
- Updated: 11:45 PM
इंदौर (मध्यप्रदेश), आठ सितंबर (भाषा) इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) के प्रशासन पर झूठ बोलकर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए जनजातीय समुदाय के एक संगठन ने सोमवार को कहा कि अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती एक नवजात बच्ची के हाथ की चारों अंगुलियां चूहे कुतर गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि 31 अगस्त और एक सितंबर की दरम्यानी रात एमवायएच के आईसीयू में चूहों ने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही दो नवजात बच्चियों पर हमला किया जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इनमें से एक बच्ची का परिवार देवास जिले में रहता है, जबकि दूसरी बच्ची का परिवार धार जिले का निवासी है। देवास और धार, इंदौर के पड़ोसी जिले हैं।
जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘धार जिले के जनजातीय समुदाय के देवराम की नवजात बेटी को जन्मजात विकृतियों के चलते एमवायएच के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। चूहों के हमले के बाद उसकी मौत हो गई थी। बच्ची के शव को पोस्टमॉर्टम के बाद इसे प्लास्टिक की थैली में पैक करके शनिवार देर शाम परिजनों सौंपा गया था।’’
उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार से पहले जब शव से पैकिंग हटाई गई, तो परिजनों का शोक और आक्रोश यह देखकर बढ़ गया कि नवजात बच्ची के एक हाथ की कथित तौर पर चारों अंगुलियां चूहे कुतर चुके थे।
मुजाल्दा ने आरोप लगाया कि एमवायएच प्रशासन ने शुरुआत में इस बच्ची के बारे में झूठ बोलकर गुमराह किया था कि चूहों के काटने से उसकी अंगुलियों में मामूली जख्म हुए हैं।
घोर लापरवाही के आरोपों के कारण आलोचना से घिरा एमवायएच प्रशासन लगातार दावा कर रहा है कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के कारण पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्यगत परेशानियों से दम तोड़ा।
हालांकि, जयस अध्यक्ष मुजाल्दा ने दावा किया कि चूहों के कुतरने से दोनों नवजात बच्चियों के शरीर में व्यापक रूप से संक्रमण फैल गया और सेप्टिसीमिया (रक्त विषाक्तता या रक्त संक्रमण) की जटिलता के कारण उनकी दर्दनाक मृत्यु हुई। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे संवेदनशील मामले में जिलाधिकारी को विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल गठित करके दोनों शिशुओं की मृत्यु का ऑडिट (डेथ ऑडिट) कराना चाहिए।’’
मुजाल्दा ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग पर जोर देते हुए कहा कि ‘डेथ ऑडिट’ में मरीज की मृत्यु के सभी चिकित्सकीय, प्रशासनिक, तकनीकी और अन्य पहलुओं की गहराई से विवेचना की जाती है जिससे उसकी मौत का असली कारण वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट हो जाता है।
एमवायएच, शहर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध है।
मुजाल्दा ने इस महाविद्यालय के डीन (अधिष्ठाता) और एमवायएच के अधीक्षक सरीखे शीर्ष अधिकारियों को निलंबित करके उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग दोहराई और चेतावनी दी कि यह मांग पूरी नहीं किए जाने पर आदिवासी समुदाय बड़ा आंदोलन छेड़ेगा।
चूहों के हमले से दोनों नवजात बच्चियों को आईं चोटों को लेकर गुमराह किए जाने के आरोपों को महाविद्यालय के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने खारिज किया। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘घटना को लेकर एमवायएच के अधिकारियों ने मुझे जो शुरुआती जानकारी दी थी, वह मैंने मीडिया से साझा की थी। विशेषज्ञ चिकित्सकों की तीन सदस्यों वाली समिति ने एक नवजात बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम किया है। इससे सारी स्थिति पहले ही स्पष्ट हो चुकी है।’’
उन्होंने बताया कि घटना के बाद एमवायएच की प्रशासकीय व्यवस्था में बदलाव के साथ ही साफ-सफाई, कीट नियंत्रण और सुरक्षा को लेकर ‘बड़े सुधार’ किए जा रहे हैं ताकि घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।
चूहों के काटे जाने के बाद नवजात बच्चियों की मौत के मामले में एमवायएच प्रशासन अब तक छह अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है जिसमें निलंबन और पद से हटाए जाने के कदम शामिल हैं।
भाषा हर्ष