दिल्ली पुलिस ने अधिकारियों को अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित होकर साक्ष्य पेश करने के निर्देश दिए
यासिर दिलीप
- 08 Sep 2025, 09:04 PM
- Updated: 09:04 PM
नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने अपने सभी अधिकारियों और कर्मियों को आपराधिक मुकदमों के दौरान साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अदालतों में शारीरिक रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। पुलिस ने एक परिपत्र जारी कर यह जानकारी दी।
पुलिस आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी ताजा परिपत्र में चार सितंबर के पूर्व आदेश को आंशिक रूप से संशोधित किया गया है, जिसमें अदालत में उपस्थिति के संबंध में कुछ छूट प्रदान की गई थी।
दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) देवेश चंद्र श्रीवास्तव द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है, ‘‘पूर्व के पत्र संख्या 98602/सीपी सेक्ट/पीएचक्यू चार सितंबर 2025 में आंशिक संशोधन करते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि सभी आपराधिक मुकदमों में सभी पुलिस अधिकारी/कर्मचारी गवाही/साक्ष्य के उद्देश्य से न्यायालयों के समक्ष शारीरिक रूप से उपस्थित होंगे।’’
अधिकारियों के अनुसार, यह परिपत्र दिल्ली और नयी दिल्ली के सभी पुलिस उपायुक्तों (जिलों/इकाइयों) और विशेष/संयुक्त/अतिरिक्त पुलिस आयुक्तों को अनुपालन के लिए भेजा गया है। इसकी प्रतियां दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष और दिल्ली के सभी जिला न्यायालय बार संघों की समन्वय समिति के अध्यक्ष को भी सूचनार्थ भेजी गई हैं।
दिल्ली पुलिस आयुक्त कार्यालय ने आश्वासन दिया कि पुलिस अधिकारियों द्वारा आपराधिक मुकदमों के दौरान अदालतों के समक्ष बयान समेत अन्य साक्ष्य व्यक्तिगत रूप से पेश किए जाएंगे और इस आश्वासन के बाद दिल्ली जिला अदालतों के बार एसोसिएशन ने सोमवार को अपनी हड़ताल वापस ले ली।
समिति ने चार सितंबर को पुलिस आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को लिखे गए पत्र की आलोचना की थी, जिसमें पुलिस द्वारा अदालत में साक्ष्य डिजिटल तरीके से प्रस्तुत करने के प्रस्ताव का उल्लेख था। अधिवक्ताओं ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था कि यह अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुरूप नहीं है।
उपराज्यपाल ने 13 अगस्त को इस मुद्दे पर एक अधिसूचना जारी की, जिसके बाद अधिवक्ताओं ने हड़ताल शुरू कर दी और 22 अगस्त को शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन 28 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह के प्रतिनिधि के साथ बैठक तथा दिल्ली पुलिस आयुक्त के एक बयान के बाद स्थगित कर दिया गया, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि सभी हितधारकों की बात सुनने के बाद अधिसूचना लागू होगी।
भाषा यासिर