उत्तराखंड में जल्द होगी 300 नए चिकित्सकों की भर्ती, 56 गैरहाजिर बांडधारी चिकित्सक बर्खास्त
दीप्ति सुरभि
- 07 Sep 2025, 10:28 PM
- Updated: 10:28 PM
देहरादून, सात सिंतबर (भाषा) उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने में जुटी राज्य सरकार जल्द 300 और चिकित्सकों की भर्ती करेगी जबकि लंबे समय से गैरहाजिर रहे 56 बांडधारी चिकित्सकों की सेवाएं समाप्त कर दी गयी हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने रविवार को मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि हाल में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में चिकित्साधिकारियों के 220 पदों पर चिकित्सकों की भर्ती की गई है जिन्हें प्रदेश के सुदूरवर्ती स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनाती भी दे दी गई है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा विभाग में चिकित्सकों के करीब 300 पद रिक्त पड़े हैं जिन पर शीघ्र भर्ती के लिये अधिकारियों को उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को औपचारिक अनुरोध भेजने के निर्देश दिए गए हैं ताकि समय पर भर्ती प्रक्रिया संपन्न कर विभाग को नये चिकित्सक उपलब्ध करा सकें।
रावत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने में जुटी है। उन्होंने कहा कि इसके तहत सरकार सुदूरवर्ती क्षेत्रों की स्वास्थ्य इकाईयों में ढांचागत व्यवस्थाओं से लेकर चिकित्सकों की तैनाती कर रही है ताकि आमजन को निकटतम अस्पतालों में बेहतर उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ऐसे कार्मिकों को बाहर का रास्ता दिखाने से भी गुरेज नहीं कर रही है जो अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हैं।
रावत ने बताया कि इसी क्रम में सरकार ने पिछले माह राजकीय मेडिकल कॉलेजों से उत्तीर्ण हुए 234 गैरहाजिर बांडधारी चिकित्सकों के विरूद्ध वसूली के साथ बर्खास्तगी की कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिये थे।
उन्होंने बताया कि गायब रहे 178 चिकित्सक नोटिस के बाद स्वास्थ्य विभाग में काम पर लौट आए।
उन्होंने बताया कि 56 चिकित्सकों ने अंतिम चेतावनी को भी नजरअंदाज किया जिसके बाद उन सभी को बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा निदेशक को उन सभी गैरहाजिर चिकित्सकों से बांड की शर्तों के अनुरूप धनराशि वसूलने के निर्देश दे दिये गए हैं।
प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एक बांड के तहत छात्र-छात्राओं को न्यूनतम फीस में एमबीबीएस की पढ़ाई कराई जाती है। इसके तहत इन छात्र-छात्राओं को एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद प्रदेश के पर्वतीय जिलों की चिकित्सा इकाइयों में पांच वर्ष तक सेवा देना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में इन चिकित्सकों को बांड में निर्धारित धनराशि जमाकर विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है और तभी इनके शैक्षिक प्रमाण पत्र लौटाये जाते हैं।
अनुबंध की शर्तों का पालन न करने पर चिकित्सकों से बांड में निर्धारित धनराशि वसूलने का प्रावधान है।
भाषा दीप्ति