सिंधु-गंगा मैदानी क्षेत्रों में कोहरा पड़ने की घटनाओं में भारी वृद्धि: डब्ल्यूएमओ
नेत्रपाल अविनाश
- 05 Sep 2025, 08:21 PM
- Updated: 08:21 PM
नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने शुक्रवार को कहा कि 90 करोड़ लोगों के आवास वाले सिंधु-गंगा मैदानी (आईजीपी) क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के साथ-साथ सर्दियों में कोहरे की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
यद्यपि कोहरा एक मौसमी घटनाक्रम है, लेकिन डब्ल्यूएमओ ने कहा कि इसकी बढ़ती आवृत्ति और अवधि, मानवीय गतिविधियों और क्षेत्रीय पर्यावरणीय परिवर्तनों से जुड़ी हुई है।
कोहरा तब बनता है जब ज़मीन के पास की हवा ओस बिंदु तक ठंडी हो जाती है, जिससे नमी हवा में मौजूद कुछ कणों पर संघनित हो जाती है और छोटी बूंदें बन जाती हैं।
यह प्रक्रिया वायुमंडल में उपस्थित सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5) से अत्यधिक प्रभावित होती है, जो वाहनों से उत्सर्जन, औद्योगिक चिमनी गैस तथा फसल अवशेष, जीवाश्म ईंधन और घरेलू जैव ईंधन के जलने आदि से निकलते हैं।
डब्ल्यूएमओ ने अपने नवीनतम वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन में कहा कि ये कण अधिक स्थायी और घने कोहरे का कारण बनते हैं। इसने कहा कि सर्दियों के दौरान, तापमान व्युत्क्रमण, जहाँ ठंडी हवा गर्म हवा की एक परत के नीचे फँस जाती है, प्रदूषकों को ज़मीन के पास रोक देता है, जिससे कोहरे की अवधि बढ़ जाती है।
इसमें कहा गया कि आईजीपी के भीतर शहरी क्षेत्रों की बढ़ती संख्या के कारण उत्सर्जन में वृद्धि हुई है तथा शहरी ऊष्मा द्वीपों का विकास हुआ है, जिससे स्थानीय मौसम की गतिशीलता में बदलाव आया है।
डब्ल्यूएमओ बुलेटिन के अनुसार, उत्सर्जन के स्रोतों में वाहन और निर्माण शामिल हैं। एक अन्य स्रोत बड़ी संख्या में मवेशियों और खराब स्वच्छता सुविधाओं से उत्सर्जित अमोनियम है। यह अमोनियम वायुमंडल में मौजूद अन्य रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करता है। इसके परिणामस्वरूप लगातार कोहरा बना रहता है।
संयुक्त राष्ट्र की मौसम एवं जलवायु एजेंसी ने कहा कि कई ईंट भट्टे घटिया कोयला एवं अप्रचलित प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए ‘‘कार्बनिक एरोसोल’’ उत्सर्जन को और बढ़ा देते हैं।
उत्सर्जन में एक प्रमुख मौसमी कारक मानसून के बाद कृषि अवशेषों को जलाना है, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में।
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि कोहरे के दौरान दृश्यता कम होने से परिवहन प्रभावित होता है, जिससे देरी और दुर्घटनाएँ होती हैं। कोहरा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का भी कारण बनता है। इसने कहा कि कोहरे के पानी में विषाक्त धातुओं और कार्बनिक यौगिकों का उच्च स्तर स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।
भाषा नेत्रपाल