आपदा के 48 घंटों के भीतर जम्मू क्षेत्र में 92 प्रतिशत बिजली आपूर्ति बहाल: पीडीडी
सुमित नरेश
- 02 Sep 2025, 05:28 PM
- Updated: 05:28 PM
जम्मू, दो सितंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के विद्युत विकास विभाग (पीडीडी) ने 26 अगस्त को हुई मूसलाधार बारिश से उत्पन्न आपदा के 48 घंटे के भीतर 90 प्रतिशत से अधिक बिजली आपूर्ति बहाल कर दी है। इस आपदा के कारण जम्मू क्षेत्र में बिजली के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा था। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
केंद्र शासित प्रदेश में 26 अगस्त को हुई रिकॉर्ड बारिश के कारण भारी भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने अधिकांश फीडरों को ठप कर दिया था। इस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति (लोड) घटकर सिर्फ 299 मेगावाट रह गयी, जबकि सामान्य मांग लगभग 1,050 मेगावाट होती है।
हालांकि, अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि विद्युत विकास विभाग (पीडीडी) 48 घंटे के भीतर जम्मू क्षेत्र में 90 प्रतिशत से अधिक बिजली बहाल करने में कामयाब रहा।
पीडीडी के एक प्रवक्ता ने बताया, "26 अगस्त को आपूर्ति घटकर सिर्फ 299 मेगावाट रह गयी थी, जबकि सामान्य मांग 1,050 मेगावाट होती है। 27 अगस्त की शाम 7 बजे तक आपूर्ति 725 मेगावाट (सामान्य लोड का 70 प्रतिशत) पर बहाल हो गई और 28 अगस्त की शाम तक यह बढ़कर 960 मेगावाट (92 प्रतिशत) हो गई।"
उन्होंने कहा कि यह त्वरित बहाली "अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में चौबीसों घंटे काम करने, दोषपूर्ण तत्वों को अलग करने और जहां भी संभव हो वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से बिजली उपलब्ध कराने" के कारण संभव हो पाई।
प्रवक्ता ने कहा, "पीडीडी, एनएचपीसी, पीजीसीआईएल, एनएचएआई जैसी विभिन्न राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों समेत पुलिस के साझा प्रयासों और तालमेल ने इसे संभव बनाया।"
उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप, व्यापक विनाश के बावजूद, विभाग ने रिकॉर्ड समय में जम्मू क्षेत्र में बिजली आपूर्ति सफलतापूर्वक बहाल कर दी।
मूसलाधार बारिश ने व्यापक तबाही मचाई, ट्रांसमिशन टावर ढह गए, ‘रिसीविंग’ स्टेशन जलमग्न हो गए और लगभग 19,000 वितरण ट्रांसफार्मर और सैकड़ों खंभे क्षतिग्रस्त हो गए। 26 अगस्त की शाम तक 1,349 फीडरों में से केवल 364 ही चालू बचे थे।
प्रवक्ता ने कहा, "रक्षा प्रतिष्ठानों, जल शक्ति, एम्स, जीएमसी जम्मू और अन्य अस्पतालों जैसे आवश्यक प्रतिष्ठानों में बिजली बहाल करना हमारी पहली प्राथमिकता थी और अधिकांश में पहले ही दिन बिजली आ गई।"
इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विभाग ने विशेष उपाय किए, जिनमें ढहे हुए टावरों को बदलने के लिए आपातकालीन बहाली प्रणाली (ईआरएस) भी शामिल है।
प्रवक्ता ने बताया, "ईआरएस की मदद से हीरानगर-बट्टल-मनवाल लाइन पर एक ढहा हुआ टावर 24 घंटे के अंदर बदल दिया गया, जिसमें महीनों का समय लग सकता था।"
भाषा
सुमित