सैन्य प्रशिक्षण से चिकित्सा आधार पर निकाल दिये गये अधिकारी कैडेट अब ईसीएचएस सुविधाएं ले पायेंगे
राजकुमार वैभव
- 29 Aug 2025, 07:32 PM
- Updated: 07:32 PM
नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) रक्षा मंत्रालय ने सैन्य प्रशिक्षण से संबंधित कारणों से चिकित्सा आधार पर प्रशिक्षण से छुट्टी पाने वाले अधिकारी कैडेट को पूर्व सैनिक अंशदान स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के अंतर्गत चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने की मंजूरी दे दी है। एक आधिकारिक पत्र से यह जानकारी सामने आयी है।
हालांकि, रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (डीईएसडब्ल्यू) द्वारा शुक्रवार को जारी सूचना के अनुसार, ईसीएचएस सुविधा केवल संबंधित व्यक्तियों के लिए ही उपलब्ध होगी।
यह कदम उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो पिछले कुछ दशकों से सैन्य संस्थानों से निकाले जाने के बाद दुश्वारियां झेल रहे हैं। उनमें से कई लोग बढ़ते चिकित्सा बिल से जूझ रहे हैं।
प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सा आधार पर निकाल दिये गये कैडेट लंबे समय से भूतपूर्व सैनिक का दर्जा मांग रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा कि इस मंजूरी के साथ, ये कैडेट अब ईसीएचएस के तहत ‘‘बेनकदी और व्यय की सीमा से परे स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं’’ का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
इस पत्र में कहा गया है, ‘‘मुझे सैन्य प्रशिक्षण के कारण उत्पन्न कारणों से चिकित्सा आधार पर प्रशिक्षण से वंचित कर दिये गये अधिकारी कैडेट को भूतपूर्व सैनिक अंशदान स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के अंतर्गत चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति से अवगत कराने का निर्देश दिया गया है।’’
इसके अलावा, ईसीएचएस योजना में शामिल होने के लिए अधिकारी कैडेट से एकमुश्त सदस्यता शुल्क (अर्थात वर्तमान में ईएसएम अधिकारियों पर लागू 1.20 लाख रुपये) नहीं लिया जाएगा।
हालांकि, इन सुविधाओं के लिए कुछ शर्तें लगायी गयी हैं।
इन कैडेट को ईसीएचएस की सदस्यता के लिए आवेदन करना होगा और ईसीएचएस नियमों को स्वीकार करना होगा। उन्हें किसी अन्य सरकारी स्वास्थ्य योजना का सदस्य/लाभार्थी नहीं होना चाहिए।
कार्यालयी पत्र के अनुसार इस कदम से, अधिकारी कैडेट ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक्स में मुफ्त ओपीडी सेवाओं का लाभ उठाने के हकदार होंगे। वे ईसीएचएस-सूचीबद्ध अस्पतालों में नकदी रहित ओपीडी या आईपीडी (भर्ती की स्थिति में) जांच भी करा सकेंगे।
हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि यह मंजूरी ‘‘विशेष छूट’’ के रूप में दी जा रही है और इसे पूर्व उदाहरण के रूप में उद्धृत नहीं किया जाएगा।
इस पत्र में सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष को संबोधित किया गया है।
बाद में, मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि जो कैडेट राष्ट्र की सेवा करने की आकांक्षा के साथ एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी), ओटीए (अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी) और आईएमए (भारतीय सैन्य अकादमी) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल होते हैं, उनमें से कुछ "अक्सर जीवन भर विकलांगता से पीड़ित हो जाते हैं, लेकिन वे फिलहाल ईसीएचएस के लिए पात्र नहीं हैं, क्योंकि उन्हें पूर्व सैनिक (ईएसएम) का दर्जा नहीं दिया गया है।’’
बयान में कहा गया है कि सशस्त्र बलों की गरिमा और कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, सरकार ने उन अधिकारी कैडेट को ईसीएचएस सुविधाएं प्रदान करने को मंजूरी दे दी है, जो सैन्य प्रशिक्षण के कारण या उससे उत्पन्न चिकित्सा आधार पर प्रशिक्षण से वंचित रह गए हैं।
सरकार ने कहा कि यह कदम उन कैडेटों पर लागू होगा जिन्हें "प्रशिक्षण पूरा होने से पहले" मेडिकल आधार पर बाहर कर दिया गया है तथा भविष्य में इसी प्रकार के मामलों में भी इसे लागू किया जा सकता है।
एनडीए से चिकित्सा आधार पर निकाल दिये गये अंकुर चतुर्वेदी ने इस कदम को बड़ा राहत बताया है।
एक अनुमान के मुताबिक, 1985 से अब तक लगभग 500 अधिकारी कैडेट इन सैन्य संस्थानों से प्रशिक्षण के दौरान हुई अलग-अलग विकलांगताओं के कारण चिकित्सा कारणों से छुट्टी पा चुके हैं।
चतुर्वेदी ने कहा कि इनमें से कई कैडेट अब बढ़ते चिकित्सा बिलों का सामना कर रहे हैं और उन्हें मिलने वाला मासिक अनुग्रह भुगतान उनकी ज़रूरतों से भी कम है।
भाषा
राजकुमार