मंत्रिमंडल समिति मराठा आरक्षण पर चर्चा कर रही; संवैधानिक रूप से वैध समाधान निकालेगी : फडणवीस
पारुल माधव
- 29 Aug 2025, 06:27 PM
- Updated: 06:27 PM
मुंबई, 29 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य मंत्रिमंडल की उप-समिति मनोज जरांगे की मांगों पर चर्चा कर रही है और वह संवैधानिक ढांचे के भीतर एक वैध समाधान ढूंढ निकालेगी।
फडणवीस की यह टिप्पणी मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे के अपनी मांगों को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने के बाद आई है।
फडणवीस ने मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जारांगे को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में केवल एक दिन के लिए विरोध-प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने बताया कि जरांगे ने विरोध-प्रदर्शन जारी रखने के लिए नयी अनुमति मांगी है और पुलिस इस पर सकारात्मक रूप से विचार करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य प्रशासन बंबई उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार काम कर रहा है और उसे उसके आदेशों का पालन करना होगा।
उन्होंने कहा, “मराठा समुदाय से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए अधिकृत मंत्रिमंडल उप-समिति जरांगे की मांगों पर चर्चा कर रही है। समिति कानूनी और संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान ढूंढ निकालेगी।”
जरांगे मराठों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में 10 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति है, ताकि वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बन सकें। हालांकि, ओबीसी समुदाय जरांगे की मांग का विरोध कर रहे हैं।
फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार मराठों को ओबीसी के विरुद्ध खड़ा करने के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने देगी।
मुख्यमंत्री ने दावा किया, “पिछले दस वर्षों में मेरी सरकार ने मराठों के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया है, जो किसी अन्य सरकार ने नहीं किया।”
फडणवीस ने कहा कि मराठों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने के लिए पिछले साल लागू किया गया 10 प्रतिशत कोटा कानूनी रूप से वैध है।
उन्होंने मराठा आरक्षण मुद्दे से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की।
फडणवीस ने कहा, “इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें और ओबीसी तथा मराठों के बीच तनाव बढ़ाने की कोशिश न करें। हमारा सामाजिक ताना-बाना महत्वपूर्ण है।”
भाषा पारुल