उत्तराखंड में अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन से पांच मरे, आठ लापता
नरेश माधव
- 29 Aug 2025, 05:32 PM
- Updated: 05:32 PM
देहरादून, 29 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के कई स्थानों पर लगातार मूसलाधार बारिश के बीच चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिलों में शुक्रवार तड़के अतिवृष्टि, बरसाती नालों में बाढ़ के साथ मलबा आने और भूस्खलन की घटनाओं से मची तबाही से एक परिवार के दो सदस्यों समेत पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी तथा 11 अन्य लापता हो गए जबकि कई अन्य लोगों के लापता होने की आशंका है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभावित इलाकों में बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है और वह अधिकारियों के निरंतर संपर्क में हैं ।
अधिकारियों ने बताया कि चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिलों में कई स्थानों पर देर रात से लगातार रूक—रूक कर बारिश हो रही है ।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, बागेश्वर जिले के कपकोट के पौसारी गांव में तड़के तीन बजे अतिवृष्टि के कारण पहाड़ी से मलबा आने से पांच—छह मकान उसमें दब गए जिससे दो महिलाओं की मृत्यु हो गयी तथा तीन अन्य व्यक्ति लापता हो गए ।
मृतक महिलाओं की पहचान बसंती देवी जोशी तथा बचुली देवी के रूप में हुई है । लापता व्यक्तियों में बसंती देवी के पति रमेशचंद्र जोशी, गिरीश तथा पूरण जोशी शामिल हैं । घटना में बसंती देवी का पुत्र पवन घायल हुआ है ।
एक अन्य घटना में चमोली जिले की थराली तहसील के देवाल क्षेत्र के मोपाटा गांव में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन की चपेट में आने से एक दंपति की मौत हो गयी जबकि एक अन्य दंपति घायल हो गया ।
चमोली के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि मोपाटा में एक मकान और गोशाला भूस्खलन की चपेट में आ गए जिससे उसमें रह रहे तारा सिंह और उनकी पत्नी कमला देवी की मृत्यु हो गयी । उन्होंने बताया कि मलबे में दबे विक्रम सिंह और उनकी पत्नी को बाहर निकाल लिया गया लेकिन उन्हें चोटें आयी हैं । गोशाला में बंधे करीब 25 मवेशी भी मलबे में लापता हो गए ।
रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार तथा जखोली क्षेत्रों के आधा दर्जन गांवों——तालजामण, छेनागाड़, बड़ेथ, स्यूरं, किमाणा तथा अरखुंड में तड़के पौने चार बजे अतिवृष्टि से बरसाती नालों में भारी मात्रा में पानी और मलबा आने से कुछ मकान और गोशाला क्षतिग्रस्त हो गए जिससे उनमें दबकर एक महिला की मृत्यु हो गयी तथा चार श्रमिकों समेत आठ अन्य लापता हो गए ।
मृतक महिला की पहचान जखोली निवासी सरिता देवी के रूप में हुई है जबकि छेनागाड़ बाजार के रहने वाले सते सिंह नेगी, कुलदीप सिंह नेगी, राज बुगाना, नीरज तथा चार अन्य श्रमिक लापता हो गए हैं ।
प्राधिकरण के अनुसार, छेनागाड़ डुंगर गांव तथा जौला बड़ेथ गांवों में भी कुछ लोगों के लापता होने की भी सूचना है।
स्यूंर गांव में कुछ मकानों के क्षतिग्रस्त होने एवं वाहन के बह जाने, तालजामण में कुछ भवनों में दरारें पड़ने या धंसने, किमाणा में खेतों तथा सड़क पर बड़े-बड़े बोल्डर व मलबा आने, अरखुण्ड में एक तालाब एवं मुर्गी पालन फार्म बहने की जानकारी मिली है।
बरसाती नालों में बाढ़ आने से 30 से 40 परिवार फंस गए थे और अब तक वहां से 200 व्यक्तियों को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है ।
टिहरी जिले के बालगंगा क्षेत्र के गेंवाली गांव में भी अतिवृष्टि से काफी नुकसान हुआ । हांलांकि, इसमें कोई जनहानि नहीं हुई ।
प्राधिकरण के अनुसार, शुक्रवार तड़के तीन बजे अतिवृष्टि के दौरान गेंवाली बरसाती नाले में आयी बाढ़ के मलबे से निजी संपत्तियों को क्षति पहुंची । इसके अनुसार, गेंवाली गांव में दो मंदिर, दो छानियां और एक गोशाला, कृषि भूमि और गांव के संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए । मलबे में दो मवेशी भी दब गए जबकि एक पैदल पुलिया भी टूट गयी ।
प्राधिकरण के अनुसार, प्रभावित स्थानों पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, पुलिस तथा राजस्व की टीमों द्वारा लापता लोगों की खोजबीन, बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है ।
लगातार बरिश से अलकनंदा और उसकी सहायक नदियों और मंदाकिनी नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर धारीदेवी और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी का पानी सड़क पर बहने लगा जिसके कारण उस पर आवागमन रोक दिया गया ।
नदियों के उफान पर होने के मद्देनजर पुलिस द्वारा नदी के किनारे रहने वाले लोगों को मुनादी कर सतर्क किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने इन घटनाओं पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में निरंतर अधिकारियों के संपर्क में हैं और उन्होंने आपदा सचिव और जिलाधिकारियों से बात कर बचाव कार्यों के प्रभावी संचालन हेतु आवश्यक निर्देश दिए हैं।
बाद में धामी ने संबधित जिलों के जिलाधिकारियों से बातचीत कर बचाव एवं राहत कार्यों को त्वरित गति से कराने के निर्देश दिए तथा कहा कि प्रभावित लोगों को तुरंत बिना किसी देरी के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए ।
मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन की एक उच्च स्तरीय बैठक में स्पष्ट किया कि मानसून सीजन तक शासन और प्रशासन अलर्ट मोड पर रहे तथा जिलाधिकारियों द्वारा आपदा राहत कार्यों के लिए जो भी आवश्यक संसाधन और सुविधाएं अपेक्षित हों, तुरंत उपलब्ध करायी जाएं ।
धामी ने अधिकारियों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि प्रभावित परिवारों को निर्धारित मानकों के अनुसार शीघ्र मुआवजा उपलब्ध कराया जाए ।
भाषा दीप्ति
नरेश