झारखंड विस ने शिबू सोरेन को भारत रत्न देने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने का संकल्प पारित किया
रंजन रंजन मनीषा
- 28 Aug 2025, 04:47 PM
- Updated: 04:47 PM
रांची, 28 अगस्त (भाषा) झारखंड विधानसभा ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की सिफारिश करते हुए केंद्र को प्रस्ताव भेजने संबंधी संकल्प पारित किया।
प्रदेश के परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ द्वारा प्रस्तुत संकल्प प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
प्रस्ताव पेश करते हुए बिरुआ ने कहा कि सोरेन ने अपना पूरा जीवन आदिवासियों, किसानों, मजदूरों और शोषितों के अधिकारों, सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया और एक अलग राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया।
उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों की प्राप्ति में उनका योगदान ऐतिहासिक महत्व रखता है। वे केवल एक राजनीतिक नेता ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी व्यक्ति थे।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘उनके अथक संघर्ष और प्रयास से हमें एक नया राज्य और एक नयी पहचान मिली। ऐसे नेता को सर्वोच्च राष्ट्रीय नागरिक सम्मान प्रदान करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता पक्ष और विपक्ष की भावना के अनुरूप, मैं एक प्रस्ताव पेश करता हूं कि यह सदन भारत सरकार से दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध करे।’’
विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उनकी पार्टी (भाजपा) इस फैसले का समर्थन करती है।
मरांडी ने कहा, ‘‘चूंकि हम एक ऐतिहासिक फैसला ले रहे हैं, इसलिए मैं प्रस्ताव में दो और नाम जोड़ना चाहूंगा - मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा और बिनोद बिहारी महतो, जो झारखंड आंदोलन के अग्रदूत थे।’’
झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन का चार अगस्त को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया था। वह 81 वर्ष के थे।
झारखंड के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व राज्यसभा सांसद ने एक ऐसी विरासत छोड़ी है जिसने देश की राजनीति को नया रूप दिया।
उनके निधन से उस राजनीतिक युग का अंत हो गया जिसने आदिवासी आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उभारा।
शिब सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के नेमरा गांव (अब झारखंड) में हुआ था। वह 'दिशोम गुरु' (भूमि के नेता) और झामुमो के पितामह के रूप में लोकप्रिय थे। उन्हें देश के आदिवासी और क्षेत्रीय राजनीतिक परिदृश्य में सबसे स्थायी राजनीतिक हस्तियों में से एक माना जाता था।
उनका राजनीतिक जीवन आदिवासियों के अधिकारों की निरंतर वकालत से परिभाषित था।
सोरेन ने बंगाली मार्क्सवादी ट्रेड यूनियन नेता ए के रॉय और कुर्मी-महतो नेता बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर 1973 में धनबाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्थापना की।
वह दुमका से कई बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। जून 2020 में वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुये थे ।
संप्रग सरकार में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में, उन्होंने 23 मई से 24 जुलाई, 2004 तक; 27 नवंबर, 2004 से 2 मार्च, 2005 तक; और 29 जनवरी से नवंबर 2006 तक केंद्रीय कोयला मंत्री के रूप में कार्य किया।
भाषा रंजन रंजन